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अयोध्या बनेगी आध्यात्मिक-आधुनिक संस्कृति का नया प्रतिमान : योगी आदित्यनाथ

भगवान राम की जन्मस्थली इस समय आत्मविभोर है। पूरे देश में खुशी का माहौल है। आखिर पांच सौ वर्षो के बाद ही सही प्रमु राम के मंदिर को वह गौरव मिलने वाला है जो उनके करोड़ों भक्तांे के मन में पूरे श्रद्धाभाव के साथ विराजमान रहता है। श्री राम मंदिर के लिए भूमि पूजन भले पांच को होगा,लेकिन इससे पहले ही कई चरणों की पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी। 3 अगस्त से कार्यक्रमों का दौर शुरू होगा। जिसके लिए तैयारियां लगभग पूरी होने को पूरी राम नगरी सतरंगी रोशनी में सराबोर हो रही है। प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी सहित नगर के कई मंदिर जगमगा रहे हैं। अयोध्या के प्रवेश द्वार से ही इलेक्ट्रिक झालर लगाकर सजावट की गई है। जगह- जगह रामायण कालीन प्रसंगों को पेंटिंग के माध्यम से दीवारों पर उकेरा जा रहा है। विश्व हिन्दू परिषद ने राम भक्तों से कहा है कि वह 05 अगस्त की शाम 05 देसी घी के दिए अवश्य जलाए।

5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन की गूंज देश-दुनिया तक पहुंचने वाली है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में लगे बिलबोर्ड पर भगवान राम और भव्य राम मंदिर के थ्रीडी फोटो दिखाए जाएंगे। आयोजकों का कहना है कि इस ऐतिहासिक क्षण को संजोने वाला यह अपनी तरह का अनोखा आयोजन होगा। पांच अगस्त को सुबह आठ बजे से रात 10 बजे तक हिंदी और अंग्रेजी में ‘जय श्री राम’ प्रदर्शित किया जाएगा। अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद राम नगरी के मंदिरों और नागरिकों को बांटने की व्यवस्था की गई है। सिद्ध संत देवराहा बाबा के शिष्य हंस देवराहा बाबा मिर्जापुर से आकर अयोध्या में डेरा डाल दिए हैं। उन्होंने 1 लाख 11 हजार विशेष देशी घी के लडडू प्रसाद बनाकर बांटने की योजना बनाई है। लडडू बनाने का कार्य भी शुरू हो चुका है। भक्तों के लिए 1 लाख 11 हजार देसी घी के लड्डू भी तैयार किए जा रहे हैं।

ऐतिहासिक राम मंदिर भूमिपूजन कार्यक्रम को लेकर शासन-प्रशासन की ओर से तैयारियां अंतिम चरण में हैं। पांच को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे और इसकी आधारशिला रखेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बेहद भावुक लेख में श्री राम जन्मभूमि पूजन को उल्लास, आह्लाद, गौरव एवं आत्मसंतोष का अवसर बताया। योगी ने लिखा है कि श्रीराम के आदर्शों पर चलकर एक नए भारत का निर्माण हो रहा है और ये युग राम राज्य और मानव कल्याण का है.

सीएम योगी ने लेख की शुरुआत तुलसीदास की रचना श्रीरामचरितमानस की चैपाई से की-
      जासु बिरहॅं सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पॉंती।।
    रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता।।

योगी ने कहा‘सकल आस्था के प्रतिमान रघुनन्दन प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली धर्मनगरी श्रीअयोध्या जी की पावन भूमि पर श्रीरामलला के भव्य और दिव्य मंदिर की स्थापना की प्रक्रिया गतिमान है। लगभग 5 शताब्दियों की भक्तपिपासु प्रतीक्षा, संघर्ष और तप के उपरांत, कोटि-कोटि सनातनी बंधु-बांधवों के स्वप्न को साकार करते हुए 5 अगस्त 2020 को अभिजीत मुहूर्त में मध्याह्न बाद 12.30 से 12.40 के बीच आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर-कमलों से श्री रामलला के चिरअभिलाषित भव्य-दिव्य मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी।’ सीएम योगी ने राम मंदिर निर्माण के लिए सदियों के संघर्ष को याद करते हुए लिखा ‘निःसंदेह यह अवसर उल्लास, आह्लाद, गौरव एवं आत्मसंतोष का है, सत्यजीत करूणा का है। हम भाग्यशाली हैं कि प्रभु श्रीराम ने हमें इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी होने का सकल आशीष प्रदान किया है। भाव-विभोर कर देने वाली इस वेला की प्रतीक्षा में लगभग पांच शताब्दियां व्यतीत हो गईं, दर्जनों पीढियां अपने आराध्य का मंदिर बनाने की अधूरी कामना लिए भावपूर्ण सजल नेत्रों के साथ ही, इस धराधाम से परमधाम में लीन हो गईं. किंतु प्रतीक्षा और संघर्ष का क्रम सतत जारी रहा।

राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ के संतों के संघर्ष को भी सीएम योगी ने इस लेख में याद किया और लिखा,‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण हेतु भूमिपूजन के बहुप्रतीक्षित अवसर पर आज सहज ही दादागुरू ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज और पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज का पुण्य स्मरण हो रहा है। मैं अत्यंत भावुक हूं कि हुतात्माद्वय भौतिक शरीर से इस अलौकिक सुख देने वाले अवसर के साक्षी नहीं बन पा रहे किंतु आत्मिक दृष्टि से आज उन्हें असीम संतोष और हर्षातिरेक की अनुभूति अवश्य हो रही होगी।

ब्रितानी परतंत्रता काल में श्रीराममंदिर के मुद्दे को स्वर देने का कार्य महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने किया था. सन् 1934 से 1949 के दौरान उन्होंने राम मंदिर निर्माण हेतु सतत् संघर्ष किया. 22-23 दिसम्बर 1949 को जब कथित विवादित ढांचे में श्रीरामलला का प्रकटीकरण हुआ, उस दौरान वहां तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर, गोरक्षपीठ महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज कुछ साधु-संतों के साथ संकीर्तन कर रहे थे. 28 सितंबर 1969 को उनके ब्रह्मलीन होने के उपरांत अपने गुरूदेव के संकल्प को महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपना बना लिया, जिसके बाद श्री राम मंदिर निर्माण आंदोलन के निर्णायक संघर्ष की नवयात्रा का सूत्रपात हुआ।’

योगी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए लिखा,‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मार्गदर्शन, पूज्य संतों का नेतृत्व एवं विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में आजादी के बाद चले सबसे बड़े सांस्कृतिक आंदोलन ने न केवल प्रत्येक भारतीय के मन में संस्कृति एवं सभ्यता के प्रति आस्था का भाव जागृत किया अपितु भारत की राजनीति की धारा को भी परिवर्तित किया। 21 जुलाई, 1984 को जब अयोध्या के वाल्मीकि भवन में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन हुआ था तो सर्वसम्मति से पूज्य गुरूदेव गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज को अध्यक्ष चुना गया। तब से आजीवन श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के महंत श्री अवैद्यनाथ जी महाराज अध्यक्ष रहे। पूज्य संतों की तपस्या के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय वैचारिक चेतना में विकृत, पक्षपाती एवं छद्म धर्मनिरपेक्षता तथा साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की विभाजक राजनीति का काला चेहरा बेनकाब हो गया।’

योगी ने अयोध्या के विकास का वादा करते हुए लिखा कि अब अयोध्या की अलग पहचान होगी,‘सनातन संस्कृति के प्राण प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली हमारे शास्त्रों में मोक्षदायिनी कही गई है। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश प्रदेश सरकार इस पावन नगरी को पुनः इसी गौरव से आभूषित करने हेतु संकल्पबद्ध है। श्रीअयोध्या जी वैश्विक मानचित्र पर महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में अंकित हो और इस धर्मधरा में राम राज्य की संकल्पना मूर्त भाव से अवतरित हो, इस हेतु हम नियोजित नीति के साथ निरंतर कार्य कर रहे हैं। वर्षों तक राजनीतिक उपेक्षा के भंवर जाल में उलझी रही अवधपुरी, आध्यात्मिक और आधुनिक संस्कृति का नया प्रमिमान बनकर उभरेगी।

रिपोर्ट-अजय कुमार

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