• 2022 विधानसभा चुनाव और हाल के निकाय चुनाव में ऐतिहासिक जीत से बीजेपी की आशाएं योगी से और बढ़ीं
आगामी लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से करीब एक साल पहले देश में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी की स्थिति अच्छी नहीं रही है. हाल ही में हिमाचल और कर्नाटक में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. उल्लेखनीय है कि दोनों ही जगहों पर बीजेपी की सरकारें थीं. दोनों ही राज्यों ने कांग्रेस ने बीजेपी को रिप्लेस किया है. आने वाले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं.
यूपी से जाता है दिल्ली की सत्ता का रास्ता
लोकसभा के लिहाज से देश में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उत्तर प्रदेश की रहती है. लोकसभा की कुल 552 सीटें हैं. इनमें से 530 सदस्य राज्यों से चुने जाते हैं, 20 केंद्र शासित प्रदेशों से और आंग्ल भारतीय समुदाय से दो लोगों को राष्ट्रपति नामित करते हैं.
अर्थात कुल 530 सीटों पर चुनाव होता है. इन 530 में से 80 सीटें सिर्फ उत्तर प्रदेश में हैं. कुल सीटों का लगभग 15 फीसदी. कहने का मतलब यूपी में जो दल अच्छा प्रदर्शन करता है उसके केंद्र में सरकार बनाने की संभावना बढ़ जाती है. इसीलिए कहा भी जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है.
लोकसभा चुनाव से पहले Old Pension Scheme की वापसी संभव!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूपी के इसी महत्व के समझते हुए बनारस को अपना चुनाव क्षेत्र बनाया है. 2014 और 2019 के आम चुनाव में यह साबित भी हुआ. 2014 में बीजेपी और इसके सहयोगी दलों को 80 में से 73 सीटें मिली थीं. 71 बीजेपी को और 2 अपना दल (एस) को. 2019 में बीजेपी प्लस को सिर्फ 64 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. 2019 में समाजवादी पार्टी, बीएसपी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन हुआ था. इस गठबंधन को 16 सीटें मिली थीं.
योगी का कामकाज होगा कसौटी पर
अब बात करते हैं 2024 को आगामी लोकसभा चुनाव की. तो फिलहाल बीजेपी के लिए राहत की बात ये है कि इस बार सपा और बसपा अलग अलग हैं. और दोनों के वर्तमान रुख को देखते हुए उनके गठबंधन की संभावनाएं भी नजर नहीं आती हैं. सपा और आरएलडी ही साथ हैं अभी. इसमें कोई शक नहीं है कि 2024 में यूपी में सबसे बड़ा मुद्दा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का काम काज होगा.
2022 के विधानसभा चुनाव और हाल के निकाय चुनाव में बजा है योगी का डंका
बीते साल 2022 में तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों में जिस तरह योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को 273 सीटें दिलाईं वह किसी चमत्कार से कम नहीं है. इनमें 255 सीटें बीजेपी की और 18 सीटें उनके सहयोगी दलों की रहीं.
ये चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिकूल स्थितियों में इसलिए था क्योंकि किसान आंदोलन के बाद सपा और आरएलडी का गठबंधन हुआ था. इसके अलावा कोरोना की छाया भी थी. लेकिन इन सबके बावजूद योगी के नेतृत्व में बीजेपी ने दोबारा सरकार बनाने का इतिहास रच दिया.
क्या बाबा का बुलडोजर प्रशस्त करेगा दिल्ली का रास्ता
इन्हीं सब वजहों से यह साफ होता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के सिर पर बड़ी जिम्मेदारी है. बीजेपी को लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में लाने के लिए यूपी की बड़ी भूमिका होनी ही है. हाल ही में जिस तरह से नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है उससे बीजेपी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आशाएं और बढ़ गई हैं. यह योगी के नेतृत्व में यूपी ही है जिसने कर्नाटक गंवाने का बीजेपी का दुख कुछ कम किया है.
तो अब सबकी निगाहें योगी आदित्नाथ पर हैं कि उनकी एक सफल सीएम की छवि 2024 में बीजेपी को यूपी में कितनी बढ़त दिलाती है. उनका माफियाओं, अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख और बुलडोजर (Bulldozer) किस तरह बीजेपी की जीत का मार्ग प्रशस्त करता है.