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बैसवारा के कवि पंकज प्रसून को मिलेगा एक लाख का प्रथम “गोपालदास नीरज पुरस्कार”

• उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा प्रदान किया जाएगा यह पुरस्कार

• मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नीरज की याद में वर्ष 2018 में की थी इस पुरस्कार की स्थापना

लखनऊ/रायबरेली। मूल रूप से सहजौरा गांव निवासी जाने माने व्यंग्यकार और कवि पंकज प्रसून को उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा गोपाल दास नीरज पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से शुरू हुए इस पुरस्कार में एक लाख की राशि एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। यह पुरस्कार पंकज प्रसून कि उनकी किताब “तब गीतों ने साथ निभाया” के लिए दिया जाएगा।

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पंकज प्रसून की अब तक 9 किताबें प्रकाशित हैं। उनकी किताब “लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं” बेस्टसेलर रह चुकी है और इसकी शीर्षक कविता का पाठ अनुपम खेर ने टाइम्स स्क्वायर, न्यूयार्क से किया था। फिजी में फरवरी माह में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में पंकज प्रसून को भारतीय प्रतिनिधिमंडल का सदस्य भी बनाया गया था। जहां उन्होंने कविताओं में विज्ञान लेखन को लेकर अपनी बात रखी थी।

बैसवारा के कवि पंकज प्रसून को मिलेगा एक लाख का प्रथम "गोपालदास नीरज पुरस्कार"

पंकज प्रसून को इससे पहले उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा डॉ रांगेय राघव पुरस्कार एवं केएन भाल पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्हें उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा ही उत्तर प्रदेश भाषा सम्मान 2019 से भी नवाजा गया था। अट्टहास युवा सम्मान, साहित्य गौरव, वाग्धारा युवा सम्मान व केपी सक्सेना व्यंग्य सम्मान भी पंकज को प्राप्त हुए हैं।

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पंकज प्रसून की चर्चित किताबों में से जनहित में जारी, द लंपटगंज, परमाणु की छांव में, हंसी का पासवर्ड प्रमुख हैं। हंसी का पासवर्ड के लिए उन्हें केपी सक्सेना व्यंग्य पुरस्कार 2020 भी मिला था। पंकज प्रसून के किताब परमाणु की छांव में एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इंडिया टुडे ने वर्ष 2019 के सर्वाधिक प्रतिभाशाली 30 लोगों में पंकज प्रसून को भी शामिल किया था। वर्ष २पंकज को कैंब्रिज विश्व विद्यालय ने भी काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया था।

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सम्मान मिलने पर पंकज प्रसून ने कहा है कि मेरी पहचान व्यंग्यकार की जरूर है लेकिन मैंने गीत और छंद भी खूब लिखे हैं। चूंकि मैं बैसवारे में पैदा हुआ था , वहां की मिट्टी से ही गीतों की खुशबू आती है। पंकज कहते हैं “व्यंग्य सार्वजनिक जीवन का हिस्सा है जबकि गीत मेरे अकेलेपन के साथी हैं। मुझे खुशी इस बात की है कि जिस महाकवि के साथ मैंने अपने जीवन के गिने-चुने मंच शेयर किए उनके नाम पर सम्मान मिलना अपने आप में एक गौरवपूर्ण बात है। मैंने नीरज जी पर लिखा था”

कौन कहता है कि नीरज मर गया है।
वह गया है स्वर्ग में कविता सुनाने।।
गीत का मुखड़ा सुनाया इस धरा को।
अब गया है अंतरा वह गुनगुनाने।।

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