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यूपी में अपनी दुनिया को नया आसमान दे रही बीसी सखियां

– बीसी सखी योजना मुरादाबाद की आमना खातून, सुल्तानपुर की आभा, बुलंदशहर की आंचल जैसी हजारों महिलाओं के जीवन में लाई खुशियां
– प्रदेश भर में वर्तमान में 24, 526 बीसी सखी गांव-गांव तक पहुंचा रहीं लोगों को बैंकिंग की सेवाएं
– बीसी सखियों ने किये 1,14,01,098 ट्रांजेक्शन, 23,24,08,67,408 रुपये का लेनदेन किया संपादित
– प्रदेश में बीसी सखी योजना से जुड़ी महिलाओं ने अब तक कमाया 6,04,68,904 रुपये कमीशन

लखनऊ। एम.ए. की पढ़ाई करने के बाद बुलंदशहर की आंचल जीवन आगे बढ़ने की राह तलाश रही थीं। उनको समझ में नहीं आ रहा था कि किस क्षेत्र में कैरियर को आगे बढ़ाएं। ऐसे में प्रदेश सरकार की बीसी सखी योजना उनके लिए बड़ा सहारा बनी। आज वो अपने जिले में गांव-गांव में लोगों को बैंकिंग की सेवाएं पहुंचा रही हैं साथ में कमीशन से खुद को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं।

कुछ इसी तरह की कहानी सुल्तानपुर की आभा की है जो बीसी सखी बनने से पहले एक ग्रहणी थी और कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझने को मजबूर थीं। सरकार की योजना से जुड़कर आज उनका जीवन बदल चुका है। कमाई होने से परिवार के खर्चे निकालना उनके लिए आसान हो गया है।

मुरादाबाद की आमना खातून पढ़ाई समाप्त करने के बाद गांव में स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं तो उनको बीसी सखी बनने का अवसर मिला। घर से बाहर निकलकर नई-नई चीजें सीखने के साथ बैंकिंग क्षेत्र की अब वो जानकार बन चुकी हैं। वो बताती हैं कि उनका जीवन भी निरंतर सुधरता जा रहा है।

प्रदेश में बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) योजना से जुड़ी ऐसी हजारों महिलाएं हैं जिनके विश्वास को नई धार मिली है और उन्होंने अपनी दुनिया को नया आसमान देने का काम किया है। 22 मई 2020 से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिये बीसी सखी योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य की सभी महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी 24, 526 महिलाएं बीसी सखी बनकर गांव-गांव तक लोगों को बैंकिंग की सेवाएं पहुंचा रही हैं।

ग्रामीण महिलाओं को स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की नई राह दिखाने वाली बीसी सखी योजना से जुड़ी महिलाओं ने अब तक 1,14,01,098 ट्रांजेक्शन किये हैं। कुल 23,24,08,67,408 रुपये का लेनदेन उनकी ओर से अभी तक संपादित किया जा चुका है। दूरस्थ इलाकों में मजदूरों और गरीब परिवारों के लिए बैंक दीदी के रूप में काम करने वाली बीसी सखियां अब तक योजना से जुड़कर 6,04,68,904 रुपये कमीशन भी कमा चुकी हैं। इन महिलाओं ने बैंक विहीन गांव के लोगों को खाते में जमा रकम का पता लगाने से लेकर निकालने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने से छुटकारा दिलाया है। गांव से लेकर शहरों में बीसी सखी 24 घंटे बैंकिंग सेवाएं दे रही हैं।

बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्व के कार्यकाल में ही आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये मिशन रोजगार, मिशन शक्ति और मिशन कल्याण योजनाओं को शुरु किया। इसके तहत तैयार किये गये मास्टर प्लान को सरकार से सम्बद्ध संस्थान तेजी से निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक के सहयोग से यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बना रही हैं। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से 500 अनुसूचित जाति के युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर देते हुए बीसी सखी बनाया जा चुका है। बीसी सखी बनाने के लिये पूर्व सैनिकों, पूर्व शिक्षकों, पूर्व बैंककर्मियों और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है। बीसी सखी बनने के लिये योग्यता में 12वीं कक्षा पास होना अनिवार्य किया गया है। साथ में अभ्यर्थी को कम्यूटर चलाना आना चाहिये। उसपर कोई वाद या पुलिस केस नहीं होना चाहिये। ऐसे अभ्यर्थी के चयन से पहले एक छोटी सी परीक्षा भी ली जाती है। इसमें उत्तीर्ण होने वाला अभ्यर्थी बीसी सखी बन सकता है।

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