पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज ओटीटी पर रिलीज हो चुकी है. फिल्म को दर्शकों का बेहतरीन रिस्पॉन्स मिला है और कहानी भी सभी के दिल में घर कर गई है. ऐसा कहा जा रहा है कि ये खुद को जिंदा साबित करने वाला कांसेप्ट काफी यूनिक है. लेकिन आपको ये जान हैरानी होगी कि ये पहली बार नहीं है जब किसी फिल्म में ऐसा कंसेप्ट दिखाया गया हो.
सरकारी कागज और उसके इर्द-गिर्द सबसे ज्यादा काम तो शाहिद कपूर के पिता और मशहूर एक्टर पंकज कपूर ने किया है. उन्होंने एक तरफ कई सालों तक अपने कॉमेडी सीरियल ऑफिस-ऑफिस से एंटरटेन किया,वहीं बाद में एक फिल्म बना भी इसी मुद्दे को जोर-शोर से उठाया.
साल 2011 में फिल्म आई थी- चला मुस्सदी ऑफिस ऑफिस. इस फिल्म की कहानी इसी पहलू पर थी कि एक इंसान को सरकारी कागज में मार दिया गया है. इस वजह से उसे पेंशन नहीं मिल पा रही है.
अब पूरी फिल्म में दिखाया जाता है कि कैसे मुस्सदी लाल एक पेशन पाने के लिए पापड़ बेलता है. वो तरह-तरह के तिगड़म लगा खुद को जिंदा साबित करने की कोशिश करता है.
जो सरकारी भ्रष्टाचार कागज में दिखाया गया है, उसका और बड़ा रूप हमे कई साल पहले पकंज कपूर दिखा चुके हैं. उन्होंने तो आम इंसान की हर तकलीफ पर रोशनी डाली है.
ऑफिस-ऑफिस के किसी एपिसोड में ऑटो ड्राइवर की समस्या दिखाई जाती है तो किसी एपिसोड में वीजा अप्लाई करने में हो रही कठिनाई. मुद्दा जो भी क्यों ना हो, पंकज कपूर हमेशा दमदार लगते हैं.
मालूम हो कि ऑफिस-ऑफिस का निर्देशन राजीव मेहरा ने किया था. इस सीरियल ने कॉमेडी के मामले इतने कीर्तिमान रचे हैं कि इसे एक साथ कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया.
ऑफिस-ऑफिस के लिए पंकज कपूर को भी बेस्ट कॉमिक एक्टर का अवॉर्ड कई बार मिला है. बेस्ट ड्रामा के लिए भी पकंज को सम्मानित किया गया है. इस एक सीरियल ने कई कलाकारों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी.