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आशावादी होना ही मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए पहला कदम: प्रो. नाभित कपूर

मानसिक स्वास्थ्य आज के समय में जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसपर अनिवार्य रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। हर साल 10 अक्टूबर को विश्व स्तर पर मानसिक आरोग्यता दिवस मनाया जाता है। वैसे तो मानसिक स्वास्थ्य पर कई संस्थाएं काम कर रही हैं, लेकिन जो धरातल पर उतरकर लोगों के बिच काम कर रही है उनमें से एक ‘पीसफुल माइंड फाउंडेशन’ है। पीएमएफ दिल्ली में स्थित वैश्विक संस्था है, जोकि संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कॉम्पैक्ट से संबद्ध है।

विश्व-भर में फैली हुई यह संस्था मनोविज्ञान को शांति, कल्याण और संस्कृति के साथ घर-घर में पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत है। आज पीसफुल माइंड फाउंडेशन दुनिया भर में अपना वजूद कायम कर चुकी है। और कई सह-संस्थाएं देश-विदेश में काम कर रही हैं। संस्था में ‘ग्लोबल यूथ मेंटल हेल्थ फोरम’, ‘पीसफुल माइंड फाउंडेशन फैलोशिप’, ‘ग्लोबल अकेडमी ऑफ़ साइकोलॉजिकल साइंसेज’, ‘पीएमएफ मेंटर्स’, ‘फाइट अगेंस्ट कोविड-19’, ‘पीएमएफ फ्री स्ट्रेस मैनेजमेंट सेंटर’, ‘पीएमएफ ओपन माइक’ और ‘वर्ल्ड लीडर फॉर मेंटल हेल्थ’ जैसे छोटे-बड़े प्रोग्राम्स वर्तमान में सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं।

पीएमएफ संस्था फोर्ब्स से लेकर कॉरपोरेट इन्वेस्टमेंट टाइम्स जैसी बड़ी पत्रिकाओं में अपने काम के लिए विशेष स्थान प्राप्त कर चुकी है। ‘ग्लोबल यूथ मेंटल हेल्थ फोरम’ के तहत हर साल दुनिया भर के कई बड़े मनोवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर वर्कशॉप्स, सेमिनार्स संचालित करती है। इसके साथ ही ‘ग्लोबल अकेडमी ऑफ़ साइकोलॉजिकल साइंसेज’ के तहत भिन्न-भिन्न प्रकार के मनोविज्ञान के विषयों में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स करवाती हैं। जबकि ‘पीसफुल माइंड फाउंडेशन फैलोशिप’ के तहत लोगों को मनोविज्ञान के क्षेत्र में खुद से नवीन प्रयास और जागरूकता फ़ैलाने का मौका मिलता है ।

महामारी के दौरान ‘फाइट अगेंस्ट कोविड-19’ के तहत संस्था ने दुनिया भर में अलग-अलग शहरों से प्रतिनिधियों को चुना और उनके साथ मिलकर लोगों को मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने के लिए काम कर रही है।

‘पीएमएफ ओपन माइक: स्ट्रेस बस्टर विथ पल्स’ के तहत बिना किसी की पहचान उजागर किए उनकी चिंताओं को एक मंच पर लोगों के सामने रखा जाता है और सबसे उत्तम समाधान उन्हें सौंपा जाता है,इसके पीछे विजन है, लोग अपने मन की बात को बेझिझक होकर बोल सकें और चिंतामुक्त हो सकें। संस्था फ़िलहाल उत्तरी नगर निगम दिल्ली के साथ मिलकर उनके मुख्य कार्यालय ‘सिविक सेंटर’ में ‘फ्री स्ट्रेस मैनेजमेंट कॉउंसलिंग सेंटर’ पर काम कर रही है।

‘वर्ल्ड लीडर फॉर मेंटल हेल्थ’ के तहत संस्था अपना विज़न “To make psychology a household term, peace, and well-being and Culture: को चरितार्थ करने की ओर अग्रसर है। विश्व मानसिक आरोग्यता दिवस-2020 से यह प्रोजेक्ट दुनिया भर में अपनी उपस्थिति मॉरीशस की पूर्व राष्ट्रपति अमीना गुरीब फ़कीम के साथ’ से दर्ज करवा रहा है। देश-विदेश की कई संस्थाओं के सहयोग के साथ और कई बड़ी हस्तियों को एम्बेसेडर, एडवाइजर, फैलो आदि रूपों में जोड़कर संस्था विश्व पटल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दिलाने के लिए काम कर रही है ।

करीब 4 सालों पहले इस संस्था की नींव रखने वाले प्रो. नाभित कपूर स्वयं को साइकोलोजिस्ट की जगह साइकोप्रेन्योर बुलवाना पसंद करते हैं,और इसमें कोई दोराय नहीं है कि इन्होने खुद को मनोविज्ञान की दुनिया में शानदार तरीके से स्थापित किया है REx कर्मवीर चक्र जैसे कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित टेडएक्स स्पीकर, मानसिक स्वास्थ्य अधिवक्ता जोकि करीब 42 देशों में 200 से ज्यादा पहचानों के साथ संस्था को बेहतरी से आगे बढ़ा रहे हैं। FAAVM, कनाडा आपको ‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रभावशाली मनोवैज्ञानिक’ की उपाधि से अलंकृत कर चुकी है। प्रो. नाभित मनोविज्ञान की दुनिया से परे यूनाइटेड किंगडम में ‘अफ्रीकन प्रवासी राज्य’ (State of African Diaspora) के पहले गैर-अफ्रीकन राजदूत पद पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और सामाजिक प्रभावी सलाहकार के रूप में लाइबेरिया के उप-राष्ट्रपति के साथ कार्यरत हैं।

मजरूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखी, ”मैं अकेला ही चला था…जानिब-ए-मंज़िल मगर…लोग आते गए और कारवां बनता गया” पंक्तियों को कृतार्थ करते हुए प्रो. नाभित के काम करने की अद्भुत शैली और सबको साथ लेकर चलने की सोच ने ही संस्था को इस मुकाम तक पहुँचाया हैं। प्रो. नाभित कपूर का मानना है, ”आशावादी होना ही मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए पहला कदम है। इसलिए आशावादी बने रहिए तो लंबी एवं घुमावदार सड़कें भी छोटी दिखाई देती है।”

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