कनाडा में पढ़ने गए 700 से अधिक भारतीय छात्रों को निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर अमेरिकी देश में अधिकारियों ने शैक्षणिक संस्थानों में उनके ‘प्रवेश प्रस्ताव पत्र’ को नकली पाया है। उन्हें हाल ही में कनाडा की सीमा सुरक्षा एजेंसी (SBSA) से निर्वासन पत्र मिला है।
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विशेषज्ञों ने बताया है कि इनमें से अधिकांश छात्रों ने पहले ही अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और वर्क परमिट प्राप्त कर लिया है। कई छात्रों ने तो वर्क एक्सपीरियंस प्राप्त कर लिया था लेकिन जब उन्होंने पीआर के लिए आवेदन किया, तभी वे मुश्किल में पड़ गए।
जानकारों का कहना है कि यह एजुकेशन फ्रॉड अपनी तरह का अनूठा मामला है जो पहली बार कनाडा में सामने आया है। जानकारों के मुताबिक, इतनी बड़ी धोखाधड़ी कनाडा में बड़ी संख्या में आवेदन करने वालों का ही नतीजा है। ठगी के शिकार हुए छात्रों के परिजनों ने जब जालंधर में वीजा एजेंट से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की तो उसके दफ्तर पर हर बार ताला लगा मिला।
बाठ के मुताबिक मिश्रा ने वीजा के लिए सभी छात्रों से 16 से 20 लाख रुपये लिए थे। इसमें एडमिशन चार्ज भी शामिल था। उसने बताया कि एयर टिकट और सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर अलग से भी पैसे लिए गए थे।
CBSA के अधिकारी अब “पीड़ितों” की बेगुनाही के दावों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह साबित करने के लिए छात्रों के पास कोई सबूत नहीं हैं कि एजेंट मिश्रा ने ही सभी दस्तावेज तैयार किए थे। कनाडाई एजेंसी कनाडा के वीजा और हवाईअड्डे के अधिकारियों की विफलता को भी स्वीकार नहीं कर रहा जिन्होंने वीजा जारी किया और सभी दस्तावेजों की प्रामाणिकता की जांच करके उन्हें प्रवेश की अनुमति दी थी।
टोरंटो से फोन पर से बात करते हुए चमन सिंह बाठ ने कहा कि +2 पास करने के बाद, लगभग 700 छात्रों ने एजुकेशन माइग्रेशन सर्विसेज, जालंधर के माध्यम से बृजेश मिश्रा के नेतृत्व में स्टडी वीजा के लिए आवेदन किया था। ये वीजा आवेदन 2018 से 2022 के बीच दाखिल किए गए थे।