लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि जुमलेबाजी से ध्यान भटकाने की स्किल पारंगत भाजपा सरकार ने करोड़ों युवाओं की आशाओं, सम्भावनाओं और प्रतिभाओं को निराश किया है। युवकों का भविष्य अंधकार में है। रोजगार के अवसर न सृजित हो रहे हैं और न उसकी सम्भावनाएं हैं। भाजपा सरकार नौजवानों के सपनों को तोड़ने वाली सरकार साबित हो रही है। कई करोड़ के रोजगार बांटने का दावा करने वाली बीजेपी किस क्षेत्र में किसको कितना रोजगार दिया इसके आंकड़े देने से क्यों घबराती है? झूठे दावो की पोल न खुली इसलिए मुख्यमंत्री जी तुकबंदी में प्रधानमंत्री जी को शामिल करने में संकोच नहीं करते हैं।
कैसे विडंबना है कि भाजपा सरकार ने बाहर से आये सभी एक्जीक्यूटिव और विभिन्न विधाओं के जानकार और विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में पूंजीनिवेश केवल पत्रों पर एमओयू में आया है। जमीन पर एक भी उद्योग नहीं लगाया गया। मनरेगा में ईएक्ससी का काम भी डिग्रीधारक युवकों के लिए रोजगार की तरह प्रचारित किया जा रहा है। पढ़ा-लिखा नौजवानों के साथ इससे बड़ा छल और छलावा क्या होगा?
ग्रामीण और कुटीर उद्योगों के जरिए स्वावलम्बन की दिषा में समाजवादी पार्टी ने कदम उठाए थे। अवध शिल्प ग्राम की स्थापना की थी। बुनकरों को तमाम रियायते दी थी। जिलों के हुनर को प्रोत्साहित किया गया था। समाजवादी सरकार की कोशिश थी कि स्थानीय लोगों को नई तकनीक से जोड़ा जाए। उन्हें कौशल प्रशिक्षण का लाभ मिल रहा था। चक गंजरिया क्षेत्र में आईटी हब बनाने के पीछे रोजगार के नए साधन मुहैया करने की भावना थी।
भाजपा सरकार ने उद्योगपतियों को राहत पहुंचाने के लिए श्रमिकों की सुरक्षा और सम्मान से संबंधित तमाम आधारभूत श्रम कानूनों को हटा दिया। काम के घंटे बढ़ा दिए हैं। उनका दिहाड़ी वेतन बी दिया गया है। श्रमिक अब मालिकों का बंधुआ बन कर रहेंगे। भाजपा गरीबों, कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा की जगह उनमें आकक्षा पैदा करती है।
एक चीनी कंपनी द्वारा मलेशिया में, उत्तर प्रदेश के कई जिलों के श्रमिकों को प्रताड़ित करने की खबरें आई हैं। केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकारों को वहाँ की सरकार और दूतावास से संपर्क कर उन्हें सुरक्षित वापस लाने के लिए प्रयास करने चाहिए। मलेशिया में उत्तर प्रदेश के 35 लोग हैं। हवाई चप्पल वालों को भी हवाई जहाज से घर वापसी का अधिकार मिलना चाहिए।
विगत तीन चार महीनों में विभिन्न राज्यों से पलायन कर रहे श्रमिक अपने-अपने गृह जनपदों के लिए पैदल या जो साधन मिला उसे छोड़ दिया गया। इस असुविधाजनक दर्दनाक यात्रा में सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी। समाजवादी पार्टी के निर्देश पर कार्यकर्ताओं ने उनकी सफाई की हर मदद की थी। यह मानवीय पक्ष है कि मुसीबतजादा और संकटग्रस्त की मदद जरूर की जाए। समाजवादी पार्टी ने उन पीड़ित परिवारों को जिनके परिवारी श्रमिकों के शिकार के शिकार हुए या जिनकी मृत्यु हो गई उन्हें एक-एक लाख रूपए की की गई। भाजपा सरकार को कम से कम 10-10 लाख रुपये की मदद देनी चाहिए पर श्रमिकों की जिन्दगी की उसके लिए कोई कीमत नहीं है। भाजपा में गरीबों के लिए कोई संवेदना भी नहीं है।