रायबरेली। भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था का दावा करने वाली भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों से किसान न्याय के लिए धरना प्रदर्शन के साथ आत्महत्या तक को मजबूर हो रहे, प्रदेश के किसान हाहाकार कर रहा उसकी सुन कोई नही रहा। जुल्मों सितम के बाद जिलाधिकारी से न्याय मांगने के लिए चार जून से धरने आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता को न्याय के बदले मौत मिल गयी। न्याय के लिए जिलाधिकारी के कार्यालय के सामने धरने पर 14 दिनों से बैठे किसान कल्याण एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अमृत लाल सविता की हालत रविवार की रात बिगड़ गयी, जब तक उसे जिला अस्पताल पुलिस लाती उसकी मौत हो चुकी थी। जनपद में किसान अपनी भूमि पर कब्जे के लिए तरस रहे है। खाद, पानी, बिजली की समस्याओ से जूझने के साथ फसल बर्बाद होने पर कर्जो में डूब कर आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे उनके परिवार तड़प रहे है।
सत्तारूढ़ भाजपा की योगी सरकार
सत्तारूढ़ भाजपा की योगी सरकार आंख कान बन्दकर बैठी हुई है। दूसरी तरफ सरकार की नीतियों को देखते हुए जिला प्रशासन भी किसानों की तरफ ध्यान नही देते। तमाम किसानों और किसान संगठनों ने इस मौत का जिम्मेदार जिलाधिकारी को ठहराते हुए कहा कि अगर डीएम समय रहते ध्यान देते तो किसान नेता की मौत न होती। साथ ही इस पूरे मामले के लिए उपजिलाधिकारी डलमऊ को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है। बीती चार जून से जिलाधिकारी कार्यालय के सामने किसान कल्याण एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अमृतलाल सविता के नेतृत्व में जमीनी विवाद को लेकर धरना चल रहा था। प्रतिदिन अपने कार्यालय आने वाले जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने इस धरने के बाबत बातचीत करने की कोई जरूरत नहीं समझी। कलेक्टर से वार्ता को लेकर किसान संगठन के लोग अपना प्रदर्शन जारी किए हुए थे।
जिला प्रशासन ने धरने को
काफी प्रयासों के बावजूद भी जिला प्रशासन ने धरने को समाप्त कराने के लिए कोई ठोस प्रयास नही किया। जिलाधिकारी ने भी वार्ता की जरूरत नहीं समझी। जिसका परिणाम रविवार की आधी रात को सामने आ गया। लगातार कई दिनों से धरने पर बैठे किसान नेता अमृतलाल सविता की हालत नाजुक हो गयी। पुलिस और जिला प्रशासन के लोग जब तक उसे जिला अस्पताल ले जाते अमृतलाल ने दम तोड़ दिया। इस घटना से जिला और पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया, इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी सत्तारूढ़ दल के विधायक, नेताओ में कोई भी मृतक के परिवार को ढांढस बधाने नही पहुचा जिसकी चारो ओर घोर निंदा हो रही है।
20 लाख रुपये मुआवजा
इस सम्बंध जब लोगो से बात की गई तो राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश मीडिया प्रभारी जावेद अहमद ने किसान नेता की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए प्रशासन को सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए किसान नेता के परिवारजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की की मांग करते हुए कहा कि किसान नेता की मौत की निष्पक्ष जांच कराई जाए, उन्होंने कहा कि राज्य की योगी सरकार का रवैया किसान विरोधी है। समाजवादी पॉटी के जिला अध्यक्ष राम बहादुर यादव ने कहा कि किसान नेता की मौत के लिए जिलाधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार है, 4 जून से धरनारत व्यक्ति की जायज मांगो की तरफ ध्यान न देने से साफ हुआ कि उनके लिए किसान की समस्या कोई मायने नही रखती, किसान के परिवार को सरकारी नौकरी के साथ उचित मुआवजा दिया जाए।
वरिष्ठ समाजवादी नेता ओपी यादव ने
सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजवादी नेता ओपी यादव ने बनापार निवासी अमृत लाल सविता अनशनकारी की मौत के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। श्री यादव ने मुख्यमन्त्री को भेजे गये फैक्स में लिखा है कि अमृत लाल सविता की मौत पर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा लीपापोती की जा रही है। अमृत लाल की मौत पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराके जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाय। अमृत लाल सविता ने जिलाधिकारी रायबरेली को किसान एवं मजदूर विरोधी बताया। जिलाधिकारी को सूचना देने के बाद अनशन पर बैठे किसान की अनसुनी जिला प्रशासन द्वारा की गयी किसान की माँगों को अनसुना किया गया। परिणाम स्वरूप किसान की मौत हो गयी।मृतक किसान के परिजनों पर दबाव डालकर मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
मृतक किसान के परिजनों को
मृतक किसान के परिजनों को मुआविजा देकर उसका मूँह तो बन्द किया जा सकता है, लेकिन इससे जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं सकता है। अमृत लाल की मौत का जिम्मेदार जिला प्रशासन है प्रशासनिक लापरवाही की जाँच व दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए। श्री यादव ने मुख्यमन्त्री से माँग की है कि अमृत लाल सविता की मौत पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाय, साथ ही प्रशासनिक लापरवाही की जाँच करायी जाय। जिलाधिकारी स्तर पर किसानों की समस्याओं से सम्बन्धित जो प्रार्थना-पत्र लम्बित है, उनका समाधान वरीयता के आधार पर कराया जाये, जिससे एैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।