उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं तब से लेकर आज तक यूपी के सांसदों-विधायकों एवं अन्य जनप्रतिनिधिओं का एक ही रोना रहा है कि योगी सरकार में जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है। योगी को अपने नेताओ से अधिक भरोसा ब्यूरोक्रेसी पर है। योगी ने ‘नवरत्न’ बना रखे हैं। यही नवरत्न हर बड़ा फैसला लेते हैं।
यह ‘नवरत्न’ और कोई नहीं 11 सीनियर आईएएस अधिकारी हैं। इनकी सलाह पर ही योगी महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं,जबकि बीजेपी के नेता और जनप्रतिनिधि करीब पांच सालों तक मूलदर्शक बने रहने को मजबूर रहे। इन नेताओं की न जिलाधिकारी कार्यालय में सुनवाई होती थी, न थाने-चौकी पर कोई इनकी सुनता था। क्षेेत्र में कौन से विकास कार्य कैसे चलने और पूरे किये जाएंगे,यह भी अधिकारी ही तय करते हैं,जिसके चलते उक्त नेताओं और जनप्रतिनिधियों को जनता के कोपभजन का भी शिकार बनना पड़ता है। अपनी व्यथा कई बार यह सांसद-विधायक और सभासद आलाकमान तक पहुंचा चुके हैं,लेकिन कहीं कोई पत्ता नहीं खड़का।
यहां तक की कुछ विधायकों ने तो यह बात विधान सभा तक में उठाई थी और धरने पर बैठ गए थे,फिर भी योगी के आगे किसी की एक नहीं चली। अब जब चुनाव सिर पर है इन लोगों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। उनसे उनके विधान सभा क्षेत्र में हुए विकास कार्यो की जानकारी ली जा रही है,इस पर जनप्रतिनिधियों का गुस्सा होना स्वभाविक है। इसी लिए गत दिनों जब बीजेपी के सांसदों और विधायक को चुनाव तैयारी के लिए लखनऊ बुलाया गया तो चुनौती तैयारी बैठक में विधायकों ने सरकार और संगठन के सामने अफसरों पर जमकर गुबार निकाला। विधायकों ने कहा कि अफसर जिले में उनकी सुनते नहीं हैं, मनचाहे ढंग से काम करते हैं। जन प्रतिनिधियों ने कहा कि कोई बार बिना विधायक की जानकारी के ही जिले में एक साथ कई थानेदार बदल दिए जाते हैं और पता तक नहीं चलता।
कुछ विधायकों ने थानेदरों के न सुनने के अलावा डीएम और एसपी की भी शिकायत की। गत दिवस गोरक्षा और काषी क्षेत्र की मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक में ज्यादातर विधायकों और सांसदों ने बिजली कटौती और तहसील थाना दिवसों में तत्काल सुनवाई करने का मामला रखा। विधायक ने कहा कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में बांध बनाए जाने हैं पर वित्त विभाग ने बहुत सी फाइलें रोक रखी है। अगर जल्दी बंधों की मरम्मत नहीं हुई तो दिक्कत होगी। एक विधायक ने पूर्वांचल विकास निधि के प्रस्ताव को जारी करने की मांग उठाई।
सांसदों-विधायकों की नाराजगी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कितनी गंभीरता से लिया,यह तो नहीं कहा जा सकता है,लेकिन उन्हें हिदायत जरूर दी कि जनता के बीच हमारी(बीजेपी सरकार )सकारात्मक और प्रभावी मौजूदगी दिखनी चाहिए। सांसद और विधायक के बीच टीम वर्क दिखाना चाहिए। योगी ने कहा कि सरकार ने साढ़े चार सालों में काफी काम हुआ। विकास योजनाओं को आगे बढ़ाया गया है। इन कामों को हर घर तक पहुंचाया सबकी जिम्मेदारी लें, उधर इस अवसर पर मौजूद उत्तर प्रदेष भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सांसदों और विधायकों से सवाल पूछा कि यहां मौजूद लोग अपने कार्यकर्ता का सम्मान करता है? कितने विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने मंडल अध्यक्ष को घर बुलाकर खाना खिलाया है या कितने सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने किसी के घर जाकर चाय पी है। उन्होेंने कहा कि कार्यकर्ताओं के बल पर हम चुनाव जीतते हैं, उनका सम्मान सर्वोपरि है। संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने और सदस्य बनवाने पर जोर दिया और कहा कि जो विधायक सबसे ज्यादा वोट बनवाएंगे, पार्टी उन्हीं का सबसे ज्यादा ध्यान रखेगी।इसी के साथ बैठक समाप्त हो जाती है।