एक दौर था जब भारत में औद्योगिक घरानों का मतलब टाटा-बिड़ला हुआ करता था. मौजूदा समय में ये मेटाफर अब अंबानी-अडानी को मिल चुका है. लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो अपने काम से काम रखते हैं, मीडिया की चमक से दूर रहते हैं. इस उद्योगपति की कहानी भी ऐसी है जिसने कभी 10,000 रुपए लेकर अपना कारोबार शुरू किया था, जो अब 15.65 लाख करोड़ रुपए की नेटवर्थ में बदल चुका है.
जी हां, यहां बात हो रही है सन फार्मा की शुरूआत करने वाले दिलीप संघवी की, जो भारत के 8वें सबसे अमीर इंसान हैं. उनकी नेटवर्थ 15.65 लाख करोड़ रुपए है. उनकी कंपनी देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी है. उन्हें ‘Reluctant Billionaire’ जैसे उपनाम से भी जाना जाता है. उनकी कहानी काफी जुदा है…
उधार से शुरू हुआ कारोबार का सफर
दिलीप संघवी के अरबपति बनने के सफर की शुरुआत 1982 में हुई थी. उनके पिता कोलकाता में दवाओं के डिस्ट्रीब्यूटर थे, लेकिन दिलीप कुछ बड़ा करना चाहते थे. उन्होंने अपने पिता से 10,000 रुपए उधार लेकर दवाएं बनाने का काम शुरू किया. उनके पास बिजनेस चलाने की कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं थी, बस भवानीपुर कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएट किया था.
और, आज सन फार्मा का कारोबार 100 से ज्यादा देशों में फैला है. देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी होने के साथ ही ये दुनिया की चौथी सबसे बड़ी जेनरिक दवा कंपनी है. इसका रिवेन्यू 44,971 करोड़ रुपए हो चुका है. अपनी बायोग्राफी में उन्होंने बताया कि पैसे को लेकर मीडिया की दीवानगी की वजह से वह उससे दूरी बनाकर रखते हैं. ये आपको मुंबई के अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट में जाकर एक प्लेट इडली खाने से भी रोकती है.
अपनी बनाई दुनिया की बड़ी दवा कंपनियां
दिलीप सिंघवी ने सन फार्मा को ग्लोबल बनाने के लिए कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया. इसमें डेट्रॉइट की कराको फार्मा, और इजराइल की टारो फार्मा का नाम शामिल है. साल 2014 में उन्होंने अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी कंपनी रैनबैक्सी लेबोरेटरीज का भी अधिग्रहण कर लिया था. साल 2016 में उन्हें ‘पद्मश्री’ जैसे नागरिक सम्मान से नवाजा गया.