मुंबई की एक सेशन्स कोर्ट ने एक ऐसे केस में फैसला सुनाया जो शायद ही पहले कभी दिया गया हो। कोर्ट ने 23 साल के युवक को अपनी बहन के अजन्मे बच्चे की मौत का जिम्मेदार मानते हुए साढ़े तीन साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने मनोज कराखे को आईपीसी की धारा 316 के तहत दोषी माना, जिसमें अजन्मे बच्चे की गैरइरादतन हत्या के लिए अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान होता है। आरोपी पर चोट पहुंचाने के लिए अलग से धाराएं लगाई गईं जिनके लिए अलग सजा दी गई है।
मनोज कराखे ने 2017 में अपनी गर्भवती बहन के पेट पर लात मार दी थी। सरकारी वकील प्रांजलि जोशी ने कहा कि जिन लोगों ने मामले में गवाही दी, उनमें पीडि़त युवती, उसकी मां, बहन और पति शामिल थे। कराखे की बहन ने पुलिस को बताया था कि वह अपने पति के साथ रहती थी जबकि कराखे पड़ोस में रहता था। उन सबको पता था कि 16 अक्टूबर, 2017 को वह चार महीने की गर्भवती थी।
कराखे की बहन ने बताया सुबह करीब 10 बजे उसकी बहन और मनोज का आपस में झगड़ा हो गया। जब उसने बीच में दखल दिया तो मनोज से उसके साथ गाली-गलौच की और यह जानते हुए कि मैं प्रेग्नेंट हूं फिर भी मेरे पेट पर लात मार दी। इससे वह गिर पड़ी और बेहोश हो गई। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां सोनॉग्रफी के बाद डॉक्टर ने बताया कि भ्रूण नहीं बच सका और उसे अबॉर्शन कराना पड़ा। उसने मनोज के खिलाफ हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद आरोपी को पकड़ लिया गया।