प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पक्षियों के साथ तस्वीर अपने में बहुत कुछ कहती है। यह सभी बोलती हुई तस्वीरे है। इसमें भारतीय संस्कृति की झलक है, जिसमें सभी जीव जंतुओं को परम सत्ता का अंश माना गया। सभी में आत्मा का वास बताया गया। आत्मवत सर्वभूतेषु। प्रख्यात कवियत्री महादेवी वर्मा की गिल्लू कहानी इस प्रसंग में याद आती है। उनके आवास में गिलहरी थी। वह उनको दाना देती थी, महादेवी ने उसका नामकरण गिल्लू किया था। वह उनकी आवाज पहचानने लगी थी।
प्रधानमंत्री आवास के पशु पक्षी भी ऐसे ही दिखाई दे रहे है। वह नरेंद्र मोदी की आवाज पहचानते है। उनके निकट आते है। उनमें भी भावना होती है। प्रताड़ित करने वालों से वह दूर भागते है। स्नेह करने वालों के दोस्त बन जाते है। बहेलिया ने एक पक्षी को तीर से मारा था। यह देखकर महर्षि बाल्मीकि के मुंह से जो शब्द निकले थे, वह दुनिया का पहला काव्य बन गया। यह भारत की मूल प्रवत्ति है,संस्कृति है।
नरेंद्र मोदी ने कई वर्ष पूर्व मन की बात में बच्चों से पक्षियों को दाना,पानी देने का सुझाव दिया था। अब पता चला कि मोदी स्वयं इस विचार पर अमल करते थे। इसके बाद ही उन्होंने इसका सुझाव अन्य लोगों को दिया था। कुछ दशक पहले गौरय्या के कलरव से लोगों की नींद खुलती था,आज उसको बचाने के लिए अभियान चलाना पड़ रहा है। पहले यह सब दिनचर्या व जीवन शैली में शामिल हुआ करता था।
