वित्त वर्ष 2024-25 में क्षेत्रीय रेलवे में माल ढुलाई में 16.11% की वृद्धि के साथ पूर्वी रेलवे सबसे आगे
नई दिल्ली (दया शंकर चौधरी)। भारतीय रेलवे (Indian Railways) थोक वस्तुओं के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है, जो उद्योग और ऊर्जा के लिए आवश्यक हैं। लंबी दूरी और थोक माल के लिए (Long Distances and Bulk Goods) रेल परिवहन (Rail Transport) सड़क परिवहन (Road Transport) की तुलना में अधिक किफायती (More Economical) रहा है। इससे व्यवसायों के लिए समग्र रसद लागत को कम करने में मदद मिलती है, जिससे भारतीय सामान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनते हैं। इसके अलावा, रेलवे खदानों, कारखानों, कृषि क्षेत्रों और बंदरगाहों को देश भर के बाजारों से जोड़ता है, जिससे निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला सक्षम होती है।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, भारतीय रेलवे ने लगभग 1617.38 मीट्रिक टन मूल माल लदान हासिल किया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 1590.68 मीट्रिक टन हासिल किया गया था, जिसमें 26.70 मीट्रिक टन (1.68%) की वृद्धि दर्ज की गई।
घरेलू कोयले की लोडिंग में 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि घरेलू कंटेनर की लोडिंग में 19.72% की वृद्धि दर्ज की गई। उर्वरक की लोडिंग में 1.25% की वृद्धि दर्ज की गई। पीओएल लोडिंग में 0.61% की वृद्धि दर्ज की गई। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) ने 7.28% की वृद्धि हासिल की। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने 4.21% की वृद्धि हासिल की। उत्तरी रेलवे ने 3.89% की वृद्धि हासिल की।
इसी तरह पूर्व मध्य रेलवे ने 2.82% की वृद्धि हासिल की। दक्षिण मध्य रेलवे ने 2.14% की वृद्धि हासिल की। पूर्वी तट रेलवे ने 1.19% की वृद्धि हासिल की। दक्षिणी रेलवे ने 0.80% की वृद्धि हासिल की। दक्षिण पूर्वी रेलवे ने 0.36% की वृद्धि हासिल की। भारतीय रेलवे द्वारा कोयले की प्रभावशाली लोडिंग के कारण, भारत में बिजली घरों में स्टॉक 57 मीट्रिक टन तक पहुँच गया।