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कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में दौड़ के ये होते है फायदे

 

रोजाना प्रातः काल उठकर दौड़ लगाना यानी रनिंग शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का सबसे अच्छा उपाय है. अगर जिम नहीं जा पा रहे हैं या फिर अभ्यास या योगाभ्यास नहीं कर पा रहे हैं तो दौड़ आपको फिट रखने, एक्टिव रखने व स्वस्थ रखने का कार्य कर सकती है. अगर आपका लक्ष्य वजन कम करना या नियंत्रित करना है तो भी दौड़ सबसे बढ़िया है. किसी के कहने पर या किसी के देखा-देखी दौड़ प्रारम्भ करने की गलती नहीं करना चाहिए. यह अच्छे से समझना महत्वपूर्ण है कि दौड़ने के आखिर फायदे क्या हैं.

दौड़ना एक कार्डियो अभ्यास है व इससे हार्ट को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है. दौड़ने से हार्ट के साथ-साथ रक्त धमनियां भी स्वस्थ रहती हैं. केवल वजन घटाने के लिए ही नहीं, बल्कि मांसपेशियों व हड्डियों के विकास तथा मजबूती के लिए ठीक खान-पान के साथ दौड़ बड़े कार्य की साबित हो सकती है. दौड़ने से फेफड़े मजबूत होते हैं. तनाव दूर करने, बेहतर नींद व रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी दौड़ के फायदे बहुत हैं. इतने सारे फायदे तभी हो सकते हैं जब आप इसे ठीक तरीका से करें. दौड़ने के भी अपने नियम हैं व कुछ सावधानियां बरतना भी महत्वपूर्ण हैं.

ऐसे डालें रनिंग की आदत
दौड़ने का मन बना चुके हैं तो पहले ही दिन से तेज गति में दौड़ना प्रारम्भ न करें. पहले ही दिन शरीर को ज्यादा लोड देंगे तो दर्द या खिंचाव आ सकता है. पहले तो सामान्य गति से चलने से आरंभ करें व फिर धीरे-धीरे गति व समय सीमा बढ़ाएं. कुछ दिनों तक इसी तरह चलें ताकि रनिंग के लिए आपका शरीर तैयार हो जाए. पहले ही दिन से आरामदायक शूज पहनें ताकि कोई असहजता न हो व पकड़ मजबूत रहे.
यह भी बहुत ज्यादा अर्थ रखता है कि आखिर आप दौड़ कहां रहे हैं. दौड़ने के लिए ठीक मार्ग का चुनाव करना महत्वपूर्ण है. समतल व घास वाले मार्ग का ही चयन करें. गलती से भी ऊंचे-नीचे रास्ते या रेतीली स्थान पर चलने का जोखिम न लें.
प्रतिदिन दौड़ से पहले वॉर्मअप महत्वपूर्ण है. फिर थोड़ा पैदल चलें.  दौड़ को आरामदायक बनाने के लिए पहले 10 मिनट पैदल चलें व फिर धीरे से दौड़ की गति पकड़ें. एक सावधानी व रखने की आवश्यकता है व वह है सिर व हाथ की स्थिति. दौड़ते समय सिर व हाथ की पोजिशन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. दौड़ते समय पैरों को ज्यादा बाहर की ओर न रखें बल्कि कंधे के लेवर तक रखें. पैरों को जमीन पर रखते समय इसे बाहर की ओर रखेंगे तो मोच आ सकती है. इस बात का भी ख्याल रखें कि दौड़ते समय एड़ी को जमीन पर न रखें, अन्यथा घुटनों पर वजन आएगा.

किस समय दौड़ना लाभकारी है
दौड़ने का समय भी ठीक चुनें. ऐसा नहीं है कि दिनभर में कभी भी दौड़ने लगे. प्रातः काल या शाम का समय ठीक होता है क्योंकि इस समय सूर्य की गर्मी सामान्य रहती है व थकान के बिना दौड़ सकते हैं. बेहतर होगा कि हर दिन नोट करें कि कितने किमी दौड़े. इससे अंदाजा होगा कि दौड़ में कितना सुधार है.

क्या खाली पेट दौड़ना चाहिए?
अगर सोच रहे हैं कि खाली पेट दौड़ना चाहिए तो यह ठीक नहीं है. दौड़ से 30 मिनट पहले हल्का-फुल्का कुछ जरूर खाएं क्योंकि दौड़ने के लिए ऊर्जा चाहिए. कपड़ों को नजरअंदाज न करें क्योंकि यह उस समय आपको असहज महसूस करा सकते हैं. ढीले कपड़े पहनें ताकि किसी तरह की कठिनाई न हो. उन लोगों को हफ्ते में दो दिन आराम देना चाहिए जिन्हें हाल ही में दौड़ना प्रारम्भ किया है क्योंकि शरीर को आराम दिए बिना दौड़ना तकलीफ भरा होने कि सम्भावना है.

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