प्राचीन काल से भारत के गांवों में समृद्ध अर्थव्यवस्था रही है। ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर तक यह व्यवस्था कायम थी। उस समय भारत के गांव आर्थिक व शैक्षणिक रूप में स्वावलंबी थे। यह तथ्य अंग्रेजों द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट से उजागर हुआ था। कृषि पशुपालन व कुटीर उद्योग एक दूसरे के पूरक थे। इनका बेहतर समन्वय था। इसके पहले विदेशी आक्रांताओं की पहुंच सीधे गांवों तक नहीं थी। यहां भारत की संस्कृति का प्रवाह कभी बाधित नहीं हुआ।
यह माना जाता था कि भारत राजनीतिक दृष्टी से तो सदियों तक परतंत्र रहा। लेकिन सांस्कृतिक रूप में भारत के गांव सदैव पूर्ण स्वतन्त्र थे। अंग्रेजों ने इसी पर विचार हेतु समिति बनाई थी। उनका उद्देश्य भारत के गांवों तक अपनी सभ्यता व शासन तंत्र की पहुंच बनाना था। समिति की रिपोर्ट के बाद उन्होंने गांवों की स्वावलंबी व्यवस्था पर प्रहार करने की कुटिल रणनीति बनाई थी। पहला प्रहार कुटीर उद्योग व शिक्षा व्यवस्था पर किया गया। ब्रिटेन में उद्योगों की स्थापना का लाभ भी उन्हें मिला। यहां से कच्चा माल ब्रिटेन ले जाना वहां फैक्ट्री में निर्मित समान यहां बेचने की शुरुआत हुई। यह उनकी आर्थिक शोषण की नीति थी। स्वतन्त्रता संग्राम के अनेक योद्धाओं ने इसका विरोध भी किया था।
महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज का विचार दिया। संविधान में भी इस विचार को स्थान दिया गया। भारत की अधिकांश जनसंख्या गांवों में रहती है। यहां की समस्याओं के समाधान हेतु पँचयती राज व्यवस्था लागू की गई। यह माना गया कि गांव के लोग जिन कठिनाइयों का सामना करते है,उनका निवारण भी उसी स्तर पर हो जाये। इसके दृष्टिगत पंचायतों को वित्तीय अधिकार भी दिए गए। कुछ वर्ष पहले तक कहा जाता था कि नई दिल्ली से धनराशि का मात्र पन्द्रह प्रतिशत ही गांव तक पहुंचता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को बदल दिया है। अब डिजिटल माध्यम से लोगों को पूरा लाभ मिल रहा है। केवल विकास ही नहीं कोरोना जैसे संकट में भी ग्राम प्रधानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। वह निगरानी समिति के अध्यक्ष होते है। इसी प्रकार महिलाओं के लिए आरक्षण करना भी पर्याप्त नहीं है। इस व्यवस्था के बाद भी प्रधान पति व्यवस्था का प्रदुभाव हुआ था। यह पद खूब चर्चा में रहा है। अब महिला ग्राम प्रधानों की जागरूकता के लिए प्रयास किये जा रहे है। जिससे निर्वाचित महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह कर सकें।
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल को ग्रामीण परिवेश व पंचायती राज व्यवस्था का व्यापक अनुभव है। गुजरात में मंत्री व मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इस दिशा में कार्य भी किया है। इसी के साथ वह महिलाओं को सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। वह चाहती है कि ग्राम पंचायतों में निर्वाचित महिला सदस्य अपनी भूमिका का प्रभावी निर्वाह करें। इसके लिए उन्हें अपने अधिकार कर्तव्य के साथ ही सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए। जिससे वह उपयुक्त निर्णय लेने में समर्थ हो। आनन्दी बेन पटेल ने विगत दिनों अनेक विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठकों में अनेक दिशा निर्देश दिए है। इनमें महिला ग्राम प्रधानों व पंचायत प्रतिनिधियों को जागरूक बनाने का विषय भी शामिल रहा है। राज्यपाल ने इस कार्य में विश्वविद्यालयों को सहभागी बनने का निर्देश दिया है। उनकी प्रेरणा से क्षमता संवर्धन कार्यशाला का शुभारंभ किया जा रहा है। आनन्दी बेन ने ऐसे आयोजन सार्थक पहल बताया है। उन्होंने कहा कि अभी तक जो महिलायें केवल घर का काम करती थी,वह अब ग्राम प्रधान बनी है। इस रूप में पूरे गांव जिम्मेदारी उनपर होती है।
सरकार ग्राम स्तर पर विकास व लोक कल्याण संबन्धी अनेक योजनाओं का संचालन करती है। इन योजनाओं का लाभ पात्र व जरूरतमन्दों तक पहुंचना आवश्यक होता है। इसमें ग्राम प्रधान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ग्राम सभा से जुड़े समस्त विकास कार्यों की जानकारी उन्हे होनी चाहिए। महिला ग्राम प्रधान अपनी ग्राम सभा के प्राथमिक स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रो को सुदृृढ़ करें तथा केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लोगों को अपनी ग्राम सभा में दिलाएं। इसके साथ ही अपनी ग्राम सभा को क्षयरोग एवं कुपोषण मुक्त करने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभायें। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान अपने ग्राम में बेटियों की एनीमिया जांच कराने,गर्भवती महिलाओं का सौ प्रतिशत प्रसव अस्पताल में कराने तथा स्तनपान को बढ़ावा देने की दिशा में भी कार्य करें। आनन्दी बेन ने बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा नव निर्वाचित महिला ग्राम प्रधानों के लिये आयोजित क्षमता संवर्धन कार्यशाला का ऑनलाइन उद्घाटन किया था। इसमें महिला ग्राम प्रधानों को सरकारी योजनाओं तथा कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए यह कार्यशाला का आयोजन किया गया था। राज्यपाल ने कहा कि ग्राम प्रधान अपने ग्राम के विकास के लिये काम करता है। बहुत से महिलाएं पहली बार ग्राम प्रधान चुनी गई हैं।
इसलिए उन्हें कुछ मार्गदर्शन की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक के दौरान आनन्दी बेन ने महिला सशक्तीकरण बिन्दु पर भी चर्चा की थी। विश्वविद्यालयों से कहा था कि विश्वविद्यालय में स्थाापित महिला अध्ययन केन्द्र महिला सशक्तीकरण, स्वावलम्बन,स्वास्थ्य, शिक्षा संस्कार पोषण आदि के साथ साथ समाज में व्याप्त विभिन्न सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा लिंग भेद,बाल विवाह आदि के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलायें। जिससे इन्हें समाप्त किया जा सके। आनन्दी बेन ने वर्तमान परिस्थिति का भी उल्लेख किया। कोरोना की दूसरी लहर कमजोर हुई है। लेकिन तीसरी लहर की आशंका बताई जा रही है। इससे गांवों में भी जागरूकता अपरिहार्य है। इसमें किसी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। राज्यपाल विश्वविद्यालयों को भी वैक्सिनेशन में सहयोग हेतु निर्देशित करती रही है। उन्होंने कार्यशाला में भी इसका उल्लेख किया। कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इसलिए नव निर्वाचित ग्राम प्रधान निगरानी समितियों के माध्यम से अपनी ग्रामसभा में सेनेटाइजेशन के साथ साथ कोरोना किट बंटवाएं तथा टीकाकरण से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करते हुये अपने पंचायत क्षेत्र का शत प्रतिशत टीकाकरण कराने में अपनी भूमिका निभायें। इसके साथ ही सभी गांववासियों को अनिवार्य रूप से मास्क लगाने के लिये प्रेरित करें। जाहिर है कि आनन्दी बेन ने कार्यशाला के उद्घाटन में ही महिला ग्राम प्रधानों को उपयोगी जानकारी दी। इसका लाभ उठाकर महिला ग्राम प्रधान अपने कार्यों के उचित निर्वाह में समर्थ हो सकेगी। अन्य विश्वविद्यालयों को भी ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन की प्रेरणा मिलेगी। इसके पहले भी राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्राम प्रधानों के साथ वर्चुअल संवाद किया था। उसमें यह बताया गया था कि सभी को बिना भेदभाव के कार्य करना है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ग्रामीण इलाकों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए चलाये जा रहे वृहद जांच अभियान को प्रभावी ढंग से जारी रखा जाए। किसी भी लक्षण युक्त तथा संदिग्ध संक्रमित व्यक्ति तक निगरानी समितियां सबसे पहले पहुंचती है। इसलिए निगरानी समितियों को पर्याप्त संख्या में मेडिकल किट उपलब्ध कराये गए। यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक जरूरतमंद को मेडिकल किट उपलब्ध हो जाए। ग्रामीण क्षेत्र के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र तथा हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर को सुदृढ़ बनाकर प्रभावी ढंग से क्रियाशील किए जाने के निर्देश दिए गए थे। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर यथाशीघ्र कार्य प्रारंभ किया गया। स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढ़ीकरण के कार्य की जवाबदेही तय करके दैनिक मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई। इन सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मेडिकल उपकरणों के रख रखाव,आवश्यक मानव संसाधन,पेयजल, शौचालय,विद्युत आपूर्ति व्यवस्था सुचारू उपलब्ध कराई जा रही है।
जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर बनकर तैयार हो गए हैं उन्हें फंक्शनल कराया गया। निर्माणाधीन स्वास्थ्य केंद्रों को शीघ्र पूर्ण करा कर संचालित कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फॉगिंग की कार्यवाही कोरोना सहित विभिन्न संक्रामक बीमारियों जैसे इंसेफेलाइटिस, डेंगू, मलेरिया,कालाजार चिकनगुनिया आदि की रोकथाम में उपयोगी है। इसके दृष्टिगत स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग की कार्यवाही को प्रभावी ढंग से जारी है। ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फाॅगिंग का कार्य पूरी सक्रियता से संचालित किये जा रहे है। उस समय मुख्यमंत्री ने किसानों की सुविधाओं पर पर ध्यान देने को कहा था। गेहूं की रिकार्ड खरीद की गई।एमएसपी के तहत गेहूं खरीद तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न का वितरण कोविड प्रोटोकाॅल के पूर्ण पालन के साथ सुचारु ढंग से किया गया। इन सभी कार्यों में ग्राम प्रधानों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए उनका जागरूक होना जरूरी है। अनेक समस्याओं का समाधान उनके स्तर से हो सकता है। अन्य समस्याओं से वह शासन को अवगत करा सकते है। इस प्रकार ग्रामीणों व शासन प्रशासन के बीच वह एक सेतु के रूप में भी कार्य करते है। गांवों के विकास व किसानों के कल्याण हेतु सरकार द्वारा अनेक योजनाओं का संचालन किया जाता है। इनका लाभ सभी लोगों तक पहुंचाने में भी ग्राम प्रधान योगदान कर सकते है।