लखनऊ। केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए किसान विरोधी अध्यादेश वापस लिए जाएं। पांच जून को जारी तीनो अध्यादेशों कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार, मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को वापस लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश किसान विरोधी हैं। इनसे फसल के दाम घट जाएंगे और बीज सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। इससे उपभोक्ताओं के खाने के दाम बढ़ जाएंगे। खाद्य सुरक्षा तथा सरकारी हस्तक्षेप की संभावना समाप्त हो जाएगी। भारत में खाने तथा खेती व्यवस्था में कॉरपोरेट नियंत्रण को बढ़ावा देते हैं और उनके जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा देंगे तथा किसानों का शोषण बढ़ाएंगे। किसानों को वन नेशन वन मार्केट नहीं वन नेशन वन एमएसपी चाहिए। सभी किसानों के लिए कर्जदारी से मुक्ति की गारंटी सुनिश्चित होना चाहिए।
सरकार इस साल कोरोना दौर के लिए सभी किसानों का रबी 2019-20 फसल का कर्ज माफ करे और खरीफ फसल 2020 के लिए ब्याज मुक्त केसीसी जारी करे। समूहों के और माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं से लिए गए कर्ज का ब्याज माफ कर उनकी वसूली पर रोक लगाए। सभी कृषि उत्पादों, सब्जी, फल और दूध समेत का एमएसपी कम से कम सी-2 लागत और उस पर 50 फीसदी अधिक घोषित हो सरकार को इस दाम पर फसल खरीद की गारंटी देनी चाहिए और सभी किसानों को विभिन्न तरीके से कानूनी अधिकारी भी। एमएसपी से कम रेट पर खरीद करना फौजदारी जुर्म घोषित हो।
सबसे बड़ा वादा था कि फसल की लागत का डेढ़ गुना दाम देना. सत्ता में आते ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह लागू नहीं हो सकता। फिर जब बहुत दबाव पड़ा तो कृषि मंत्री ने संसद में कहा कि हमने तो ऐसा वादा किया ही नहीं था। फिर वित्त मंत्री ने कहा कि हम इसे लागू कर रहे हैं. जो वादा किया ही नहीं था, उसे लागू कर रहे हैं। और जब लागू किया तो उसमें भी डंडी मार दी। उसकी परिभाषा ही बदल दी. सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के एतिहासिक होने का जो दावा कर रही है कि वह झूठ है।