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गन्ना अधिनियम के अनुसार 14 दिन के पश्चात किसान बकाया मूल्य पर ब्याज पाने का हकदार: सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने प्रदेश के गन्ना किसानों का दर्द बयां करते हुये कहा कि गन्ना पेराई सत्र चालू हो चुका है और चीनी मिलों पर 15,683 करोड रूपये आज भी बकाया है और इतनी ही उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद बकाया गन्ना मूल्य के ब्याज का हजारों करोड रूपया मिल मालिक दबाये बैठे हैं। प्रदेश सरकार अपनी किसान विरोधी नीति अपनाते हुये चीनी मिलों पर किसी भी प्रकार का दबाव बनाने में नाकाम साबित हो रही है, इसे पूंजीपतियों के प्रति प्रेम अथवा पूंजीपतियों के साथ विशेष मेहरबानी ही कहा जा सकता है।

UP government not aware of sugar cane farmers

श्री त्रिवेदी ने कहा कि सरकार किसानों के प्रति घडियालू आंसू बहाने की हमदर्दी को दिखाने के बजाय धरातल पर यदि कुछ भी सहायता करने में असमर्थ है तो कम से कम किसानों का ही बकाया देने में क्यों आना कानी कर रही है। सरकार को चाहिए कि ऐसी मिलों को बेचकर किसानों का बकाया गन्ना मूल्य भुगतान किया जाय और यदि ऐसा भी सम्भव न हो तो मिलों का अधिग्रहण करके किसानों के प्रतिनिधियों के ही हवाले कर दिये जाय ताकि वे मिले चलवाकर अपना गन्ना मूल्य वसूल सके।

केन्द्र सरकार अरबों रूपया पूंजीपतियों को कोरोना महामारी की सहायता के रूप में देने का ढिंढोरा पीट रही है फिर कृषि प्रधान देश में गन्ना किसानों के ऊपर इस प्रकार की बेरहमी दिखाना कहां तक उचित है कि किसानों को अपना बकाया मूल्य भी न मिल सके। यद्यपि गन्ना अधिनियम के अनुसार 14 दिन के पश्चात बकाया मूल्य पर ब्याज पाने का प्रत्येक गन्ना किसान हकदार है।

रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने प्रदेश सरकार से गन्ना किसानों का भुगतान ब्याज सहित तत्काल कराने की मांग करते हुये कहा कि सरकार मिल मालिकों के प्रति प्रेम को तिलांजलि दे और यदि सरकार भुगतान करने अथवा कराने में अक्षम है तो मिलों का अधिग्रहण करके गन्ना समितियों के प्रतिनिधियों के हवाले कर दिया जाय अन्यथा प्रदेश के मुखिया को किसानों के प्रति हो रहे अत्याचार को देखते हुये नैतिकता के आधार पर अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।

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