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प्रदेश में एक दिन में रिकॉर्ड 28 हजार टीबी मरीज लिए गए गोद

मेगा अभियान : लखनऊ में सर्वाधिक 7827 मरीजों को लिया गया गोद।
सर्वाधिक 10834 टीबी मरीजों को मिला प्रमुख जनप्रतिनिधियों का संग।
टीबी उन्मूलन बना जनांदोलन, पोषाहार के साथ भावनात्मक सहयोग भी।

लखनऊ। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत शुक्रवार को पूरे प्रदेश में टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए मेगा अभियान चलाया गया। इसके तहत एक दिन में प्रदेश में रिकार्ड 27942 टीबी मरीजों को गोद लिया गया। मेगा अभियान में सर्वाधिक 7827 टीबी मरीज लखनऊ में गोद लिए गए। दूसरे स्थान पर अलीगढ़ रहा जहाँ 1872 मरीजों को गोद लिया गया। इनमें सर्वाधिक 10834 टीबी मरीज प्रमुख जनप्रतिनिधियों (मंत्री, सांसद, विधायक, मेयर व अन्य) द्वारा गोद लिए गए।

राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर का कहना है कि देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत शुक्रवार को मेगा अभियान चलाया गया। इसका उद्देश्य जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, समाजसेवियों, विभिन्न संगठनों और संस्थाओं द्वारा अधिक से अधिक टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें पोषण सामग्री प्रदान करने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करना है। इसी के तहत एक दिन के मेगा अभियान में प्रदेश में विभिन्न संगठनों ने 5372, स्वयंसेवी संस्थाओं ने 2582, विभिन्न इंस्टीटयूट ने 3566 और अलग-अलग व्यक्तियों ने 4061 टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें हर माह पोषाहार मुहैया कराते हुए जल्दी से जल्दी बीमारी से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया है।

प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने वर्ष 2019 में सबसे पहले टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने की मुहिम शुरू की थी। इस मुहिम की सफलता के बाद इस साल विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) से टीबी ग्रसित वयस्क पुरुष व महिलाओं को भी गोद लेकर उनको पोषण पोटली प्रदान की जा रही है ताकि इलाज के साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और वह जल्द से जल्द टीबी को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ बन सकें। गोद लिए जाने वाले टीबी मरीजों को हर माह पोषक खाद्य पदार्थ (भुना चना, मूंगफली, गुड़,सत्तू, गजक आदि ) मुहैया कराया जाता है।

इसके अलावा नियमित रूप से दवा सेवन को भी सुनिश्चित कराया जाता है क्योंकि बीच में दवा छोड़ना बीमारी को गंभीर बना सकता है। इन मरीजों को भी इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रूपये बैंक खाते में दिए जाते हैं। ज्ञात हो कि दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी एवं बुखार आना, वजन में कमी होना, भूख न लगना, बलगम से खून आना, सीने में दर्द एवं छाती के एक्स-रे में असामान्यता क्षय रोग के प्रमुख लक्षण हैं। क्षय रोग पूरी तरह से साध्य रोग है, जिसका पूरा कोर्स करने से रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है। क्षय रोग जाँच एवं उपचार की सेवाएं प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध हैं।

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