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कायम रहा करिश्मा

योगी आदित्यनाथ लगातार पांच वर्षों तक बिना रुके बिना थके सुशासन के मार्ग पर आगे बढ़ते रहे। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की यह कार्यशैली बिल्कुल समान है। दोनों का समर्पण राष्ट्रधर्म के प्रति है। परिवार व निजी सम्प्पति का कोई मोह नहीं है। दशकों के सार्वजनिक जीवन में इन पर कोई आरोप नहीं लगा। 

  • Published by- @MrAnshulGaurav, Written by- Dr. Dilip Agnihotri
  • Friday, 11 March, 2022
     डॉ दिलीप अग्निहोत्री

कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी ने योगी को यूपी के लिए उपयोगी बताया था। यह रोचक तुकबंदी थी। उत्तर प्रदेश से ‘उ’ और ‘प’ अक्षर लिया गया। उसके साथ योगी शब्द जोड़ दिया गया। इस प्रकार उपयोगी शब्द बन गया। यह शब्दों की रोचक संरचना थी। लेकिन, इसका निहितार्थ और भाव बहुत व्यापक था। योगी आदित्यनाथ लगातार पांच वर्षों तक बिना रुके बिना थके सुशासन के मार्ग पर आगे बढ़ते रहे। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की यह कार्यशैली बिल्कुल समान है। दोनों का समर्पण राष्ट्रधर्म के प्रति है। परिवार व निजी सम्प्पति का कोई मोह नहीं है। दशकों के सार्वजनिक जीवन में इन पर कोई आरोप नहीं लगा।

भारत की राजनीति में मोदी योगी बिल्कुल अलग दिखाई देते है। दूर दूर तक इनके जैसा कोई नहीं है। यही कारण है कि इतने वर्षों में विपक्ष इनके प्रभावी विरोध का तरीका ही समझ नहीं सका। अक्सर विपक्ष के दांव खुद पर ही भारी पड़ जाते हैं। इसीलिए विपक्ष गुजरात में भी नरेंद्र मोदी को रोकने में विफल रहा था। इतना ही नहीं तम्माम विरोध के बाद भी वह उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनने से रोक नहीं सका। विपक्ष अपने घिसेपिटे अंदाज में आगे बढ़ता रहा। इसका असर यह हुआ कि मोदी दूसरी बार भी प्रधानमंत्री बन गए।

यह इतिहास उत्तर प्रदेश में भी अपने को दोहरा रहा है। यहां भी योगी के विरोध में विपक्ष जमीन आसमान एक करता रहा। लेकिन वह आमजन को अपनी बातों से प्रभावित नहीं कर सका। योगी सरकार को दुबारा जनादेश हासिल हुआ। मतदाताओं के समक्ष किसी निर्णय तक पहुंचने की इस बार बेहतर स्थिति थी। उन्होंने बसपा सपा और फिर भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकारों को कार्यकाल पूरा करते देखा था। इनके पहले मुलायम सिंह के नेतृत्व में सरकार थी। उसमें कानून व्यवस्था की स्थिति दयनीय थी। उस समय भाजपा नंबर तीन पर हुआ करती थी। प्रदेश की राजनीति में सपा बसपा का ही मुकाबला चलता था। मुलायम सरकार से मतदाता नाराज हुए तो बसपा को पूरे बहुमत के साथ सत्ता में पहुंचा दिया। लेकिन पांच वर्ष सरकार चलाने के बाद बसपा सरकार घोटालों के आरोप से बेहाल हो चुकी थी।

इधर सपा में उत्तराधिकार अखिलेश यादव को मिल गया था। उन्होंने प्रारंभ में कतिपय बाहुबलियों व दबंगों के साथ तालमेल से इनकार कर दिया था। इससे सपा में सुधार का बड़ा सन्देश गया। यह लगा कि सपा अब पहले जैसी नहीं रहेगी। इस आधार पर सपा को बहुमत मिला। लेकिन शपथ ग्रहण समारोह के बाद ही बदलाव की संभावना धूमिल हो गई। सपा बसपा के इस दौर से अजीज आकर मतदाताओं ने भाजपा को मौका दिया। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ। पद संभालने के फौरन बाद योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर ध्यान दिया। उनका कहना था कि यह सुशासन व विकास की पहली शर्त है। जिस प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं होती,वहां विकास नहीं हो सकता।

एंटी रोमियो के साथ शुरू हुई उनकी यात्रा फिर बुलडोजर के माध्यम से आगे बढ़ी। योगी आदित्यनाथ ने पूरी ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वाह किया। इस व्यापक आधार पर उनकी सरकार को जनादेश मिलना ही था। मतदाता पांच वर्ष पहले के राजनीतिक दौर में लौटने को तैयार नहीं थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम अप्रत्याशित नहीं है। योगी के नेतृत्व में भाजपा की जीत तय मानी जा रही रही। उसका बड़ा कारण है कि पांच वर्षों में कानून व्यवस्था व विकास की बेहतर स्थिति रही। पिछली सरकारें मिल कर भी इन पांच वर्षों की उपलब्धियों का मुकाबला नहीं कर सकती। सपा की सीटें दो वादों के कारण बढ़ी है। इनमें तीन सौ यूनिट फ्री बिजली और पुरानी पेंशन बहाली के वादा शामिल है। इन व्यक्तिगत मसलों पर मतदान हुआ। इसके अलावा सपा के गठन के समय से ही जाति मजहब का आधार रहा है। उसका भी उसे लाभ मिलता है। दूसरी ओर कानून व्यवस्था सांस्कृतिक गौरव व विकास कार्यों को महत्व देने वालों ने भाजपा को समर्थन दिया। मोदी और योगी की सरकार ने राष्ट्रीय गौरव व स्वाभिमान के बेमिसाल कार्य किये है। इनके सामने भी विपक्ष की चमक धूमिल हो गई थी। क्योंकि ये पार्टियां परम्परागत रूप में ऐसे विषयों की विरोधी रही है। वह इन विषयों को साम्प्रदायिक मानती रही है। उन्हें लगता है कि इनका नाम लेने से ही इनकी सेक्युलर छवि कलंकित हो जाएगी। इनका वोटबैंक नाराज हो जाएगा। इसलिए इन्होंने अपने वर्तमान हित पर ध्यान रखा।

संवेदनशील समस्याओं को भावी पीढ़ी के लिए छोड़ने में इनको कभी कोई संकोच नहीं रहा। नरेंद्र मोदी का विचार इसके विपरीत रहा है। वह चुनावी लाभ हानि के आधार पर बड़े निर्णयों से विमुख नहीं होते है। यही कारण है कि असंभव समझे गए कार्य भी इस अवधि में पूरे हुए। अस्थाई अनुच्छेद 370 व 35 ए की समाप्ति हुई। तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त कर मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय किया गया। पांच सौ वर्षों बाद अयोध्या जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है। ढाई सौ वर्षों बाद भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण किया गया। इसी तर्ज पर विंध्य पीठ धाम का निर्माण चल रहा है। मतदाता जानते है कि यह असंभव लगने वाले इन कार्यों को मोदी योगी ही सँभव बना सकते थे। अन्य कोई सरकार इनके विषय में सोच भी नहीं सकती थी। उत्तर प्रदेश के इतिहास में विगत पांच वर्ष उपलब्धियों की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहे है। करीब पचास योजनाओं में यूपी के नंबर वन का गौरव सामान्य नहीं है। नरेंद्र मोदी ने स्वयं कहा था कि योगी सरकार की सभी उपलब्धियों को गिनाना संभव नहीं है। क्योंकि इसके लिए बहुत समय की आवश्यकता होगी। उनके अनुसार उत्तर प्रदेश की जनता अब कह रही है- यूपी प्लस योगी,बहुत है उपयोगी। नरेंद्र मोदी ने मंच से इस नारे को कई बार दोहराया। अपार जनसमूह ने इसका पुरजोर समर्थन किया। कुछ देर तक जनसभा में यह नारा गूंजता रहा। चुनाव परिणाम में भी यह गूंज सुनाई दे रही है।

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