आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर बड़े व्यथित मन से विराजे थे। चतुरी चाचा के साथ ककुवा, बड़के दद्दा, कासिम चचा व मुन्शीजी भी गमगीन मुद्रा में बैठे थे। मैं भी चुपचाप एक कुर्सी पर बैठ गया। प्रपंच चबूतरे पर काफी देर खमोशी छाई रही। अंततः चतुरी चाचा चुप्पी तोड़ते हुए बोले- कुछ शहरों में कोरोना की रफ्तार थोड़ा कम हुई है। परन्तु, गांवों में कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है। ग्रामीण इलाके में मौतों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। ग्रामांचल में चिकित्सा व्यवस्था वैसे ही लचर है। लोग गांवों के झोलाछाप डॉक्टर और कस्बों के मेडिकल स्टोर के सहारे हैं। आखिर ये लोग कोरोना से कैसे निबट पाएंगे? इस बात से मैं बड़ा दुःखी हूँ।
ककुवा ने कहा- कोई कुछु कीन नाय चाहत। सब जने सरकार केरे भरोसे हैं। सरकार केरे सहारे बैइठब ठीक थोरे है। कोरोना महाब्याधि ते सबका एकजुट होय कय लड़ का चही। तबहीं यहिते मुक्ति मिलिहै। सब जने टीका लगवाये लेंय। मास्क अउ दूई गज केरी दूरी क्यार पालन करयँ। सब कोई अपन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ावत रहयँ। रोज शुद्ध, सात्विक, पौष्टिक भोजन करयँ। गुनगुना पानी, काढ़ा अउ भाप केरा सेवन करयँ। क्षारीय फल खायँ। योग, प्राणायाम, व्यायाम करयँ। युहु सब जो कोई करी, वहिके लगे कोराउना अइबै न करी। तभी चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी और गिलोय का काढ़ा लेकर आ गयी। वह चबूतरे के एक कोने पर ट्रे रखकर रफ़ूचक्कर हो गई। गुनगुना पानी पीकर सबने गिलोय काढ़े का कुल्हड़ उठा लिया।
कासिम चचा ने प्रपंच को आगे बढ़ाते हुए कहा- सरकार सही आंकड़ा नहीं दे रही है। सरकारी आंकड़ा से कई गुने नए मरीज रोज निकल रहे हैं। वहीं, मौतें भी सरकारी आंकड़े से बहुत ज्यादा हो रही हैं। गांवों के कोरोना रोगियों और मरने वालों का कोई सही आंकड़ा है ही नहीं। गांव में सघन टेस्टिंग से ही मरीजों की सही संख्या मालूम हो सकती है। उत्तराखंड की सीमा से पश्चिम बंगाल की सीमा तक गंगा नदी लाशों से पटी जा रही है। आजकल कफ़न, लकड़ी, सामग्री और शव वाहन के दाम आसमान छू रहे हैं। गरीब परिवार अपने सगे-सम्बन्धी की अंतिम क्रिया भी ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। कुछ लोग गंगा अथवा अन्य नदियों में शव फेंक रहे हैं। कुछ लोग नदियों के किनारे शव को रेती में दबा रहे हैं।
चतुरी चाचा ने कहा- यह समय सरकार को कोसने का नहीं है। एक दूसरे की टांग खिंचाई के बजाय इस राष्ट्रीय आपदा से एकजुट होकर लड़ने जरूरत है। मैं कोरोना की दूसरी लहर में पीड़ितों की निरन्तर मदद कर रहा हूँ। मैंने पिछले कोरोना सीजन में भी सैकड़ों लोगों की यथासम्भव सहायता की थी। मेरी कोशिश है कि इस महामारी के गिरफ्त में आये लोगों का धैर्य और मनोबल बना रहे। क्योंकि, असीम धैर्य और उच्च मनोबल से हर समस्या का सामना किया जा सकता है। इधर, मैं देख रहा हूँ कि लोग महामारी की प्रचण्डता और अस्पतालों की स्थिति की खबर सुनकर-देखकर अपना धीरज खो रहे हैं। उनका मनोबल टूट रहा है। फलस्वरूप, ऐसे लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, जिनका धैर्य और आत्मबल साथ दे रहा है। वे सब इस महामारी पर विजय हासिल करते जा रहे हैं। आप सब धीरज रखें। अपना आत्मबल खूब मजबूत रखें। अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें। सकारात्मक ही सोचें। सब अच्छा होगा। हम सब इस महामारी को पराजित करेंगे।
बड़के दद्दा ने चतुरी चाचा की ही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- मैं गांव-जंवार के कोरोना मरीजों या फिर उनके परिवारीजनों के सम्पर्क में रहता हूँ। कल मैंने 28 कोरोना पीड़ित परिवारों से सम्पर्क किया। उनमें 12 परिवार ऐसे थे, जिनमें सारे प्राणी कोरोना से ग्रसित हैं। इन 12 परिवार में पांच परिवार ऐसे हैं, जिनके कुछ सदस्य अस्पताल में भर्ती हैं। बाकी लोग घर में आइसोलेट हैं। सुबह सबसे पहले इन्हीं पांच परिवारों को फोन किया। ये लोग पिछले हफ्ते कोरोना के गिरफ्त में आये थे। कल पता चला कि अस्पताल में भर्ती सभी मरीज अब बेहतर स्थिति में हैं। साथ ही, घर में आइसोलेट सदस्य भी निगेटिव होने की स्थिति में हैं।
वहीं, शेष सात परिवारों के सभी सदस्य पिछले 6-7 दिनों से घर में गुनगुना नींबू पानी, भाप, काढ़ा व डॉक्टर की बताई दवाएं ले रहे हैं। रोज सादा भोजन, तरल पदार्थ लेते हुए सुबह योग-प्राणायाम कर रहे हैं। सब लोग अब काफी स्वस्थ हो गए हैं। इसी तरह अन्य 16 परिवारों से पता चला कि घर के कुछ लोग ही कोरोना से पीड़ित हैं। शेष सभी परिवारीजन सुरक्षित हैं। सभी परिवार अपने पीड़ित सदस्य को अलग कमरे में रखे हुए हैं। उन्हें घरेलू आयुर्वेदिक उपचार दे रहे हैं। ज्यादातर मरीजों की स्थिति ठीक है।
मुन्शीजी ने कहा- ग्रामीण क्षेत्र में कुछ परिवार बेहद चिंतित है। उनका धैर्य जवाब दे रहा है। अख़बार, टीवी व सोशल मीडिया में चल रही मौत की खबरों से उनका मनोबल गिरता जा रहा है। इसका असर कोरोना मरीज पर भी पड़ रहा है। मुझे कुछ कोरोना पीड़ित परिवारों से संपर्क में रहने से पता चला कि जिन लोगों का धैर्य व आत्मबल काफी उच्च स्तर का है। वह लोग बड़ी जल्दी रिकवरी कर रहे हैं। जबकि जिनका धैर्य और मनोबल कमजोर है। उन्हें स्वस्थ होने में समय लग रहा है। कुछ जगह तो धीरज और मनोबल की कमी के कारण स्थिति दयनीय भी हो रही है। इस कठिन दौर में धैर्य और आत्मबल सबसे जरूरी है। इसके दम पर हम सब कोरोना महामारी को पराजित कर देंगे।
अंत में मैंने सबको कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि भारत सहित विश्व के अनेक देशों में जहां कोरोना का कहर जारी है। वहीं, सभी देशों में टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। अमेरिका में बहुत तेजी से 70 प्रतिशत आबादी को टीका लगाया गया। वहां अब मॉस्क की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी। भारत में अभी तक 18 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। भारत सरकार 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को टीका देने की कसरत कर रही है। भारत में स्वदेशी टीकों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा रूस सहित अन्य देशों से टीका मंगवाए जा रहे हैं। मोदी सरकार ने राज्यों को टीके के लिए सारे उपाय करने की छूट दे दी है। चौदह राज्य सरकारें ग्लोबल टेंडर से टीका मंगवाने में जुटी हैं।
इस हफ्ते भारत में नए मरीजों और मौतों का आंकड़ा नीचे आया है। अब मरीजों के ठीक होने का सिलसिला भी बढ़ गया है। पिछले 24 घण्टे में सवा तीन लाख नए मरीज चिहिन्त हुए। वहीं, कोरोना ने 3900 लोगों को निगल लिया। जबकि साढ़े तीन लाख से अधिक मरीज स्वस्थ हो गए। भारत में अबतक दो करोड़ 44 लाख लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें दो लाख 66 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। महाराष्ट्र और दिल्ली में स्थिति बड़ी खराब है। उत्तर प्रदेश में अब स्थिति नियंत्रण में है। वहीं, छत्तीसगढ़ की सरकार कोरोना महामारी के चलते अनाथ हो गए बच्चों का पालन पोषण करेगी। कोरोना से डरा सहमे लोग अब ब्लैक फंगस नामक नई बीमारी को लेकर चिंतित हैं। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही को लेकर फिर हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!