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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…वोटन के फेर मा ढील परिगै सरकार

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

चतुरी चाचा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए कृषि कानूनों को वापस लेने की चर्चा करते हुए कहा- यूपी अउ पँजाब सहित पांच राज्यन का चुनाव खोपड़ी प हयँ। तमाम किसान कृषि कानूनन का लैके मुंह फुलाए हयँ। साल भरि ते पश्चिमी यूपी, पँजाब अउ हरियाना केरे किसान धरना-प्रदर्सन कय रहे हयँ। यू सब देखि क मोदीजी अपन निरन्य बदल दिहिन। मोदी सरकार साल भर तौ अड़ी रही। नये कानूनन का बड़ा नीक बतावत रही। अब वोटन के फेर मा ढील परिगै सरकार। द्याखय वाली बाति यह होई कि किसान संगठन ठंडे परत हयँ की नाइ। काहे ते किसानन केरी दुई माँगय रहयँ। याक- तिनव कृषि कानून वापिस लीन जायँ। दुसर- फ़सलन कय न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून बनावा जाय। अबहीं एमएसपी कानून नाय बना हय। यहिका लैके किसान संगठन आंदोलन जारी राख़ि सकत हयँ। केंद्र सरकार केरी ख़ातिन एमएसपी कानून लागू करब आसन नाइ हय। इहिमा बड़ी गांठें हयँ।

चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। मुंशीजी, कासिम चचा, बड़के दद्दा व ककुवा आपस में खुसुर-पुसुर कर रहे थे। आज भोर में हल्की बारिश हो जाने मौसम सर्द था। चबूतरे से थोड़ी दूर पर गांव के बच्चे ‘लुकी-लुकवर’ खेल रहे थे। मेरे पहुंचते ही चतुरी चाचा ने अपना हुक्का पुरई को पकड़ा दिया। चाचा ने मोदी सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रकरण से प्रपंच का आगाज किया। उनका कहना था कि तीनों नए कानून विधानसभा चुनाव को देखते हुए वापस लिये गए हैं। उन्हें मोदीजी का यूँ बैकफुट पर जाना अच्छा नहीं लगा। अगर इन कानूनों से देश के किसानों का भला हो रहा था, तो इन्हें शुक्रवार को वापस क्यों ले लिया गया? यदि ये कृषि कानून किसानों के लिए नुकसानदायक थे, तो इन्हें साल भर पहले रद्द क्यों नहीं किया गया? इन दो यक्ष प्रश्नों का जवाब भाजपा को देना ही होगा।

ककुवा ने कहा- चतुरी भाई, नेतन का कौनिव विधि ते कुर्सी चाही। सत्ता क खातिर सब नेता राजनीति कय रहे। मोदी कौनव जग उविधा नाइ हयँ। वोउ कुर्सी तइं राजनीति कय रहे। पांच राज्यन मा विधानसभा चुनाव होय जाय रहा। यहकी जीत-हार क प्रभाव 24 वाले लोकसभा चुनाव प जरूर परी। ई बाति का ध्यान मा राखत भये मोदीजी कृषि कानूनन का वापिस लै लिहिन। आंदोलन ते निरन्य नाय पलटा हय। वोटन क लालच मा निरन्य पलटा हय। साल भर यहे मोदीजी कृषि कानूनन का बड़ा नीक बतावत रहे। फिरि कातिक पुन्नवासी क दिन कानून वापस लै लिहिन। मोदीजी न जाने कौनि रननीति बनाईन हय। हमरी समझ ते इहिसे मोदीजी कौनव खास लाभ न होई। उलटा विपक्षी मोदीजी पय चढ़ाई करिहैं। ई कानूनन के चक्कर मा मोदीजी कय बड़ी किरकिरी होइगै।

इसी बीच चंदू बिटिया प्रपंचियों के लिए जलपान लेकर आ गई। आज जलपान में तुलसी-अदरक वाली कड़क चाय के साथ गुड़ वाली पट्टी-सेव एवं रामदाना की धुंधिया थीं। जलपान के बाद प्रपंच को आगे बढ़ाते हुए कासिम चचा के कहा- मोदी सरकार झटपट निर्णय लेने की आदी है। इसी क्रम में वह बिना तैयारी के तीन नए कृषि कानून लेकर आ गयी थी। केन्द्र सरकार को कानून बनाने के पहले किसान संगठनों से व्यापक चर्चा करनी थी। इससे जुड़े अन्य लोगों से भी सलाह-मशविरा करना था। सारे पहलुओं पर विचार करने तथा सबको विश्वास में लेने के बाद ही नए कृषि कानून लागू करना था। तब देश में इन कानूनों को लेकर यूँ विरोध न होता। कितने किसान आंदोलन की भेंट चढ़ गए। आम जनता को भी साल भर तरह-तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ीं। धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों को अंध भक्तों ने तरह-तरह से बदनाम भी किया। आखिरकार प्रधनमंत्री मोदी ने देश से माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। इससे साफ हो गया कि किसान अपनी जगह सही थे।

केन्द्र सरकार ने ही हठधर्मिता करके मामले को इतना लंबा खींचा है। कृषि कानूनों में खामियां थीं। तभी तो पीएम ने उन कानूनों को वापस लेना उचित समझा है। बहरहाल, अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर निर्णय होना शेष है। साथ ही, इस आंदोलन में शहीद हुए सभी किसानों के साथ न्याय होना बाकी है।

इस पर बड़के दद्दा ने कहा- तीनों कृषि कानून किसानों के लिए बड़े लाभकारी थे। इससे अर्थव्यवस्था में उछाल आता। किसानों की माली हालत में बड़ा सुधार होता। खेती घाटे का सौदा न रहती। मोदी सरकार ने बहुत सोच समझकर ये कानून लायी थी। परन्तु, तीनों अभूतपूर्व कानून गन्दी सियासत की भेंट चढ़ गए। मोदी की सकारात्मक सोच और अर्थव्यवस्था की हार हो गई। विपक्षी दल अपने मंसूबों में कामयाब हो गए। किसान संगठन विपक्षी दलों की कठपुतली बने हुए हैं। किसान नेताओं ने खेती-किसानी का बहुत बड़ा नुकसान कर दिया है। सोचने वाली बात यह है कि साल भर पहले तीनों कानून पूरे देश में लागू किये गए थे। पूरे देश में इन कानूनों का स्वागत किया गया। बस, पँजाब, आंशिक हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की तराई के किसानों को ही दिक्कत महसूस हुई। इन्हीं तीन राज्यों के तथाकथित किसान नेताओं को कृषि कानूनों में खामियां नजर आईं। धरना-प्रदर्शन के नाम पर कई महीने से अराजकता की जा रही थी। सबकुछ विपक्षी दलों के इशारे पर हो रहा था। कानून वापस होने की घोषणा के बाद भी विपक्षी दल इस आंदोलन को आगे ले जाने की फिराक में हैं। क्योंकि, यूपी, उत्तराखंड, पँजाब, मणिपुर व गोवा में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।

मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- आजकल प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री शाह का सबसे ज्यादा फोकस यूपी पर है। दोनों उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं। भाजपा और योगी सरकार प्रदेश में तरह-तरह के आयोजन कर रही है। कहीं संगठन का कार्यक्रम होता है, तो कहीं सरकार का कोई आयोजन होता है। अयोध्या की दिव्य दीपावली के बाद पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उदघाटन हुआ। फिर झांसी में तीन दिवसीय राष्ट्ररक्षा पर्व मनाया गया। अमृत महोत्सव से जुड़े आयोजनों में भी भाजपा अपनी बात रख रही है। भाजपा पूर्वांचल, मध्य यूपी और बुंदेलखंड पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है। भाजपा को लगता है पश्चिमी यूपी के नुकसान को पूर्वांचल से पूरा कर लेगी। यूपी की हार-जीत वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को प्रभावित करेगी। यह बात सपा, बसपा, कांग्रेस, आप सहित सभी विपक्षी दलों को अच्छे से पता है। तभी सारे दल यूपी में जोर लगा रहे हैं।

कोरोना का अपडेट देते हुए मैंने प्रपंचियों को बताया कि विश्व में अबतक 25 करोड़ 69 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की जद में चुके हैं। इनमें 51 लाख 55 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। इसी तरह भारत में अबतक तीन करोड़ 45 लाख से लोग कोरोना से ग्रसित हो चुके हैं। इनमें चार लाख 65 हजार से अधिक लोगों को बचाया नहीं जा सका। भारत में मुफ्त कोरोना टीका लगाने का अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा है। देश में अबतक तकरीबन 115 करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं। करीब 37 करोड़ भारतीयों को टीके की दोनों खुराक मिल चुकी हैं। बच्चों की कोरोना वैक्सीन का अभी भी इंतजार है। विश्व के कई देशों में कोरोना महामारी का प्रकोप फिर बढ़ रहा है। कुछ देश एक बार फिर लॉकडाउन का सामना कर रहे हैं। ऐसे में हम भारतीयों को ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।

हमें मॉस्क और दो गज की दूरी का पालन कड़ाई से करना होगा।
अंत में चतुरी चाचा ने सबको कार्तिक पूर्णिमा, नानकदेव जयंती, गंगा स्नान, देव दीपावली एवं वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जयंती की बधाई दी। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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