उइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन का दमन जारी है और ये हर दिन मानवता की सीमाएं लांघता जा रहा है. चीन उइगर मुस्लिमों को हर शुक्रवार को री एजुकेशन कैंप में सूअर का मांस खाने को मजबूर रहा है. इसके अलावा चीन के नजरबंदी कैंप से लीक हुई कैदियों की एक दुर्लभ सूची से पता चला है कि किस प्रकार उइगर मुस्लिम एक सरकारी डेटा प्रोग्राम का निशाना बन रहे हैं. इसके जरिए उन्हें ऐसे अपराधों के लिए हिरासत में लिया जा रहा है जिनमें महज युवा होना या दूसरे देश में रह रहे अपने भाई या बहन से बात करना शामिल है.
ह्यूमन राइट्स वॉच को मिले डेटाबेस से खुलासा हुआ है कि किस प्रकार शिनजियांग प्रांत में चीनी अधिकारी डेटा आधारित पुलिसिंग नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो लोगों के व्यक्तिगत नेटवर्क, उनकी ऑनलाइन गतिविधियां और दैनिक जीवन को ट्रैक करता है. इस लिस्ट में 2000 से ज्यादा उइगर मुसलमानों का डेटाबेस है जिन्हें अक्सू प्रांत में 2016 से 2018 के बीच नजरबंदी कैंपों में हिरासत में रखा गया है. अधिकांश लोग महज इसलिए हिरासत में लिए गए हैं क्योंकि उन्हें इंटीग्रेटेड जॉइंट ऑपरेशन प्लेटफार्म (IJOP) द्वारा संदिग्ध माना गया है.
उधर सूअर का मांस खिलाने वाली चीन सरकार की इस नापाक हरकत का शिकार रहीं सयारगुल सौतबे ने इसका खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई उइगर मुस्लिम ऐसा करने से मना कर देता है तो उसे कठोर सजा दी जाती है. यही नहीं शिंजियांग इलाके में सूअर पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. सयारगुल ने अलजजीरा को दिए इंटरव्यू में कहा, हर शुक्रवार को हमें सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता है…
उन्होंने जानबूझकर शुक्रवार का दिन चुना है जो मुस्लिमों के लिए पवित्र दिन माना जाता है. अगर आप ऐसा करने से मना कर देते हैं तो आपको कड़ी सजा दी जाती है. सयारगुल सौतबे स्वीडन में चिकित्सक और शिक्षक हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी एक किताब प्रकाशित की है और इसमें अपने साथ हुई यातनाओं और पिटाई का जिक्र किया है.