लोग अमूमन अकेले रहते हुए तनाव में आ जाते हैं और नींद, आराम, सुकून को भूल जाते हैं। लोग कुछ पुराने प्रयोग अपनाते हैं, हालांकि कुछ लोग कुछ फ़ास्ट टिप्स भी अपना रहे हैं, किन्तु इनका गहरा प्रभाव नहीं हो रहा है। ऐसे में बरसों पुरानी एक थैरेपी एक फिर सुर्ख़ियों में आ गई है। इस थैरेपी का नाम है कलर थैरेपी। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस थैरेपी में मानसिक और शारीरिक शांति, सुकून और राहत मिलती है। यह थेरेपी शारीरिक और भावनात्मक दिक्कतों को भी ठीक करने में सक्षम है।
चिकित्सीय भाषा में कहें तो यह कलर थैरेपी को क्रोमोपैथी, क्रोमोथेरेपी के नाम से भी पहचानी जाती है। इस थेरेपी में इंसान के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्तर को संतुलित किया जाता है। ये खास कर तनाव को दूर करने के लिए प्रयोग की जाती है। इस थैरेपी से शरीर को सुकून और आराम मिलता है। शरीर से थकान चली जाती है और शरीर में ऊर्जा के प्रवाह होता है।
इसमें हरे रंग का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। ये रंग सभी रंगों में सबसे संतुलित रंग माना जाता है। इससे ही इस थैरेपी की शुरुआत की जाती है। यदि कोई भी उदास, निराश या नीरस महसूस करता है तो उसकी मानसिक स्थिति को सुधार देता है। यहां ये भी ध्यान देना होगा कि इसमें गहरे हरे का ही इस्तेमाल किया जाता है। लाल रंग का उपयोग शारीरिक उपचार के लिए किया जाता है। क्योंकि ये भावनात्मक प्रभाव को बढ़ा देता है। बताया जाता है कि इस रंग से ब्लड सेल्स का भी निर्माण होता है। इसका मानसिक प्रयोग तब करते हैं जब मेंटल कंडीशन बेहद गंभीर हो।