
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Commerce Minister Piyush Goyal) ने हमारे स्टार्टअप्स को चैलेंज (Challenged Our Startups) दिया, भविष्य का रास्ता बताया। देश में चल रहे स्टार्टअप्स को आईना दिखाया (Showed the Mirror To Startups Running In tCountry) । मुझे लगता है पीयूष गोयल ने जो कहा, वो सच कहा। पीयूष गोयल ने कहा कि हमारे देश में जिस तेजी से स्टार्टअप्स की तादाद बढ़ रही है, वो दिल को खुश करने के लिए अच्छा है, लेकिन जिस तरह के स्टार्टअप्स सामने आ रहे हैं, वो चिंता की बात (Matter Of Concern) है।
गोयल ने कहा कि हमारे देश में स्टार्टअप का मतलब बिजनेस हो गया है, कोई फैंसी आइसक्रीम बना रहा है, कोई ग्लूटेन फ्री बिस्किट का स्टार्ट-अप चला रहा है, तो कोई क्विक डिलीवरी ऐप बनाकर खुश हैं।
गोयल ने सवाल उठाया कि क्या इस तरह के स्टार्टअप्स से देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को फायदा होगा, अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
अगर हमारे Start Ups ने इसके बारे में सोचा होता तो आज भारत को इसका फायदा मिलता। अब अमेरिका ने चीन पर टैरिफ लगा दिया है। अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में हमारे लिए जगह बनी है, लेकिन हमारे पास न तो प्रोडक्ट हैं, न इन्फ्रास्ट्रक्चर। तो ये मौका हमारे हाथ से निकल जाएगा। इसका फायदा ताइवान और साउथ कोरिया जैसे देश उठाएंगे।
गोयल ने चीन के स्टार्टअप्स का उदाहरण दिया। कहा कि हम क्विक डिलीवरी ऐप बना रहे हैं और चीन के लोग माइक्रोचिप और सेमीकंडक्टर बना रहे हैं, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के टूल डेवेलप कर रहे हैं, हम लोगों के घरों में खाना और दूसरा सामान पहुंचाकर खुश हैं जबकि चीन के लोग दूसरे देशों को माइक्रोचिप और इलेक्ट्रिक कार बैटरीज सप्लाई कर रहे हैं।
मुझे लगता है पीयूष गोयल की बात में वजन है। इस तरह के स्टार्टअप 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को पाने में मददगार साबित नहीं होंगे। ये मसला गंभीर है और देश के भविष्य से जुड़ा है।
गोयल के भाषण के बाद क्विक कॉमर्स स्टार्ट अप ज़ेप्टो के फाउंडर आदित पलीचा, भारत-पे के फाउंडर अशनीर ग्रोवर, इन्फोसिस के बोर्ड मेंबर मोहनदास पाई ने बयान पर ऐतराज़ जताया। आदित पलीचा ने ट्विटर पर लंबी चौड़ी पोस्ट लिखी और कहा कि भारत के स्टार्ट-अप की आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन कोई ये नहीं देखता कि चीन और अमेरिका की स्टार्ट-अप अगर कमाल कर रही हैं, तो वहां का माहौल क्या है। आदित ने कहा कि zepto ने पिछले तीन-चार साल में डेढ़ लाख लोगों को रोज़गार दिया, और सरकार को एक हज़ार करोड़ से ज़्यादा का टैक्स अदा करता है। जब स्टार्टअप्स के लोग ऐतराज़ करने लगे तो पीयूष गोयल फिर स्टार्टअप महाकुंभ में गए और कहा कि सरकार तो चाहती है कि भारत के स्टार्टअप्स दुनिया में सबसे बड़े बनें,सबसे बेहतरीन काम करें, लेकिन सिर्फ बोलने से नहीं होगा, कुछ नया करके दिखाना होगा। गोयल ने कहा कि उनका सुझाव है कि अब रिसर्च पर फोकस किया जाए, तभी हम भविष्य की चुनौतियों का मुक़ाबला कर पाएंगे।
मुझे लगता है पीयूष गोयल ने जो कहा वो सच कहा। उन्होंने स्टार्टअप चलाने वालों को सिर्फ आईना दिखाया, नौजवानों को प्रोत्साहित करने के लिए कड़वी बात कही। उनकी बात को इसी भावना से लेना चाहिए। देश में अब तक पौने दो लाख स्टार्टअप हैं। स्टार्टअप्स रोजगार तो दे रहे हैं, चाहे फूड डिलवरी ऐप हों, सर्विसेज के एप हों, या मार्केटिंग के दूसरे ऐप, इनसे कम पढ़े लिखे गरीब और मध्यम वर्ग के नौजवानों को काम तो मिल रहा है। ये अच्छी बात है। ये इसका सकारात्मक पक्ष है। पर इस तरह के start up सिर्फ डिलीवरी boys पैदा कर रहे हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था, देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर, हमारे निर्यात को कोई फायदा नहीं हो रहा।
इसीलिए पीयूष गोयल की चिंता जायज़ है क्योंकि सरकार स्टार्टअप्स को खुल कर मदद दे रही है। भारत सरकार ने 2500 करोड़ रुपये स्टार्टअप के लिए रखे, स्टार्टअप शुरू करने के लिए सस्ता कर्ज़ सरकार देती है, इसके लिए पांच सौ करोड़ का बजट रखा है। शुरू के तीन सालों में स्टार्टअप को जो भी मुनाफा होगा, उसे टैक्स फ्री रखा है, स्टार्टअप पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा।
जो बड़ी कंपनियां स्टार्टअप को कर्ज़ देती है, उस पर कंपनियों को टैक्स में छूट मिलती है। इतनी सहूलियत देने के बाद भी अगर हम सिर्फ डिलिवरी एप बनाकर खुश रहें, तो चिंता की बात तो है। अब ज़माना बदल गया है। नए डिलीवरी एप अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी Giants का मुकाबला तो नहीं कर सकते और जब तक हमारे देश के स्टार्टअप्स इस लायक बनेंगे, तब तक मार्केट में बहुत कुछ नया आ चुका होगा। इसीलिए भविष्य की तरफ देखने की जरूरत है। दो कदम आगे की सोचने की जरूरत है। इसीलिए पीयूष गोयल ने चीन का उदाहरण दिया। चीन ने आज से दस साल पहले सेमीकंडक्टर, माइक्रोचिप और AI पर काम शुरू किया। आज उसे इसका फायदा मिल रहा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)