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नहीं घुस सकता गांव मे कोरोना, ग्रामीणों सतर्कता क्षेत्र मे बनी मिसाल

लम्भुआ/सुलतानपुर। कोरोना को लेकर एक तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में लापरवाही की स्थिति बनी हुई है। वहीं, दूसरी तरफ इलाके का बहमरपुर गांव अन्य गांवों के लिए मिसाल बना हुआ है। अफसरों की बेपरवाही के बावजूद ग्रामीण बेहद सतर्क और सजग हैं। हालात यह है कि बिना किसी सरकारी इमदाद के गांव के बेसिक विद्यालय को कोरेन्टीन सेंटर में तब्दील कर दिया गया है। प्रवासी मजदूरों को घर-परिवार से दूर रहकर लगातार एक पखवारे इस कोरेन्टीन सेंटर में बिताने पड़ते हैं। जाहिर है कि ग्रामीणों की इस सतर्कता ने गांव को कोरोना वायरस से ‘फुलप्रूफ’ बना दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ की उम्मीदों पर यह गांव पूरी तरह से खरा उतर रहा है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं लम्भुआ-जमखुरी मार्ग के किनारे बसे बहमरपुर गांव की। क्षेत्रफल व आबादी के लिहाज से यह गांव भले ही छोटा हो। पर , लोगों की जागरूकता ने इसे अग्रणी गांव में ला खड़ा किया है। हालात यह है कि गांव में कोई भी प्रवासी बिना कोरेन्टीन हुए गांव में प्रवेश नहीं कर पाता है। इसके लिए ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रसून मालवीय ने खास इंतजाम किए हैं। बिना किसी सरकारी मदद के उन्होंने गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय करनपुर को कोरेन्टीन सेंटर में तब्दील कर दिया गया है। मौजूदा समय मे पांच प्रवासी इसमें रह रहे हैं। इसी गांव के दूसरे पुरवे में आबादी से दूर छप्पर के नीचे भी कोरेन्टीन सेंटर बनाया गया है। दो परिवारों के नौ लोग इस सेंटर में मौजूद हैं। बिस्तर-चारपाई के साथ ही इनके अलग भोजन की व्यवस्था की गई है। हालांकि, प्रवासियों के भोजन का ज्यादातर इंतजाम उनके घर वाले ही करते हैं। बीते दिनों मुंबई के सिवड़ी स्थान से सुलतानपुर-प्रतापगढ़ व जौनपुर जिले के 25 टैंकर चालक व खलासी आये थे। इस समूह में इस गांव के चार लोग भी शामिल थे। उनके साथ पड़ोस के पट्टी (प्रतापगढ़) तहसील के भी दो लोग थे। लोगों के गांव पहुंचने से लोग सशंकित हो गए। टैंकर के चेंबर में घुसकर किसी तरह लम्भुआ तक पहुंचे यह लोग बेहद दयनीय हालत में थे। ये सब कोरेन्टीन अवधि पूरी करने के बाद अपने घर पहुँच गए हैं।

करनपुर के विद्यालय में मुंबई से राजेश कुमार (19), दिलीप कुमार (28), महेश (19), वृजेश यादव (24) पहुँचे हैं। महेश सरकारी व्यवस्था से ट्रेन से आये हैं। उन्हें सरकारी राशन किट भी मिली है। पेंटर सभाजीत (35) आंध्र प्रदेश के तेलंगाना से गांव पहुँचे हैं। जबकि, बहमरपुर के अस्थाई कोरेन्टीन सेंटर में इस वक्त अकबर अली (25), बाबर (32), सलीम (44), हलीम (45), अनवर (25), दिलवर ( ), चांद अली (0), सिकंदर ( ), हनीफ ( ) मौजूद हैं। इनमें सलीम व हलीम बरेली में कबाड़ का व्यवसाय करते हैं, जबकि अन्य लोग मुंबई में ही विभिन्न जगहों पर काम करते रहे।

अफसर न सरकारी इमदाद, फिर भी दी व्यवस्था: ग्राम प्रधान
लम्भुआ। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रसून मालवीय ने बताया कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बाद गांव में ग्रामीणों का पहुँचना हुआ तो लोग सशंकित हो उठे। लिहाजा, तय हुआ कि कोई भी व्यक्ति बिना कोरेन्टीन हुए गांव में प्रवेश नहीं करेगा। इस पर प्रवासियों के परिवारीजन भी सहमत हुए तो राह और आसान हो गई। पहले, करनपुर के विद्यालय में इसकी शुरुआत हुई। बिजली, पानी से लैस इस विद्यालय में सफाई, साबुन आदि के इंतजाम प्रधान ने करवाये। जबकि, छप्पर के नीचे अस्थाई कोरेन्टीन सेंटर तक साफ पानी पहुँचाने के लिए सबमर्सिबल बोरिंग से इंतजाम कराया गया है। दिन में एकाध बार लाई, चना या अन्य कोई अल्पाहार की व्यवस्था ग्राम प्रधान निजी खर्च से इन सेंटरों पर करते हैं। प्रधान प्रतिनिधि ने बताया कि मजे की बात है कि इलाके में तैनात राजस्व, विकास व पुलिस महकमे का कोई अफसर अभी तक उनके गांव नहीं पहुँचा है। इंतजाम करना तो दूर रहा। महामारी से निपटने के लिए बनाए गए सरकारी व्हाट्सएप्प ग्रुप पर तो अफसर जवाब तक नहीं देते हैं।
रिपोर्ट- संतोष पांडेय

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