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दांडी यात्रा का आत्मनिर्भर भारत सन्देश

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से स्वतन्त्रता के अमृत मोहत्सव का शुभारंभ किया गया था। इस समारोह का उद्घाटन नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक तिथि बारह मार्च को साबरमती में किया था। इस दिन महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा प्रारंभ की थी। इसे प्रेरणादायक उत्सव के रूप में मनाने का केंद्र सरकार ने निर्णय लिया। आजादी का अमृत महोत्सव वर्तमान पीढ़ी में राष्ट्रीय चेतना का संचार करने के लिए है। नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उस दौर में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था।

अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की थी। भारत के लोगों को इंग्लैंड से आने वाले नमक पर निर्भर हो जाना पड़ा। गांधी जी ने देश के इस पुराने दर्द को समझा,जन जन से जुड़ी उस नब्ज को पकड़ा।  देखते ही देखते ये आंदोलन हर एक भारतीय का आंदोलन बन गया। हर एक भारतीय का संकल्प बन गया। राष्ट्र के लिए नमक बनाने की यात्रा भी इस विचार की प्रतीक थी। आत्मनिर्भर भारत के विचार में स्वतन्त्रता भी शामिल है।प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आँका गया। हमारे यहाँ नमक का मतलब है ईमानदारी,विश्वास, वफादारी है। इसको चरितार्थ किया गया। नमक हमारे यहाँ श्रम और समानता का प्रतीक है।

राज्यपाल ने बताया महत्व

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक कार्यक्रम में दांडी यात्रा के महत्व का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होने कहा महात्मा गांधी की दाण्डी यात्रा भारत की पहली आत्मनिर्भर यात्रा थी, जिसके द्वारा अंग्रेजी शासन के विरूद्ध स्वदेशी नमक बनाकर देश को आत्मनिर्भर करने का प्रयास किया गया। 12 मार्च, 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दाण्डी मार्च की शुरूआत करके अपनी अहिंसात्मक ताकत का परिचय दिया था।महात्मा गांधी ने देश के दर्द को महसूस किया और नमक सत्याग्रह के रूप में लोगों की नब्ज को समझा। इसलिए यह आन्दोलन जन जन का आन्दोलन बन गया था।

प्रयागराज का प्रसंग

आनन्दी बेन ने कहा कि प्रयागराज को उस समय इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। वह स्वाधीनता आन्दोलन का बहुत बड़ा केन्द्र था। दाण्डी में महात्मा गांधी द्वारा बनाये गए नमक का एक हिस्सा 13 अप्रैल,1930 को प्रयागराज लाया गया। यह दाण्डी नमक इलाहाबाद वासियों के लिए कोई मामूली नमक नहीं था,अपितु देश में हजारों की संख्या में स्वाधीनता की अपेक्षा रखने वाले भारतवासियों के लिए एक जगी हुई उम्मीद की किरण थी।

आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से इलाहाबाद संग्रहालय,प्रयागराज द्वारा आयोजित दाण्डी यात्रा एवं आत्मनिर्भर भारत एक चर्चा’ विषयक संगोष्ठी तथा ‘एकल प्रदर्श प्रदर्शनी’ का ऑनलाइन उद्घाटन किया। कहा कि महात्मा गांधी की दाण्डी यात्रा भारत की पहली आत्मनिर्भर यात्रा थी, जिसके द्वारा अंग्रेजी शासन के विरूद्ध स्वदेशी नमक बनाकर देश को आत्मनिर्भर करने का प्रयास किया गया। आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से इलाहाबाद संग्रहालय,प्रयागराज द्वारा आयोजित दाण्डी यात्रा एवं आत्मनिर्भर भारत एक चर्चा’ विषयक संगोष्ठी तथा ‘एकल प्रदर्श प्रदर्शनी’ का ऑनलाइन उद्घाटन किया।

अमृत महोत्सव में योगदान

15 अगस्त 2022 को भारत अपनी स्वतंत्रता संग्राम की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। आनन्दी बेन ने कहा कि यह देशभक्ति की भावना जगाने अवसर होगा। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसके लिये ‘अमृत महोत्सव’ मनाये जाने का निर्णय लिया है। यह अमृत महोत्सव पूरे एक साल तक मनाया जायेगा। प्रदर्शनी और संगोष्ठी के माध्यम से इलाहाबाद संग्रहालय ‘अमृत महोत्सव’ में अपना योगदान दे रहा है।

राज्यपाल ने इलाहाबाद संग्रहालय,प्रयागराज को निर्देशित करते हुए कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वाधीनता संग्राम से जुड़ी 75 घटनाओं की खोज करें और उनका विवरण तैयार कर राजभवन भेंजे। ताकि उस पर नई रूपरेखा तैयार कर विस्तृत चर्चा की जा सके।

शिक्षण संस्थानों की सहभागिता

यजयपाल ने कहा कि अमृत महोत्सव संबन्धी अनेक कार्यक्रमों में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों,शिक्षकों, विद्वानों,शोधार्थियों और छात्र छात्राओं का सहयोग लिया जा सकता है। आजादी का इतिहास युवा पीढ़ी को अवश्य पता होना चाहिए। यह इतिहास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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