लखनऊ। यूपी नेचुरोपैथी एंड योग टीचर्स एंड फिजिशियन एसोसिएशन की आवश्यक बैठक अलीगंज में एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अमरजीत यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इसमें डॉ. यादव ने बताया की योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति है। यह चिकित्सा पद्धति औषधि विहीन है इसमें पंचतत्वों से उपचार किया जाता है।
योग और प्राकृतिक चिकित्सा सम्पूर्ण विश्व में स्वास्थ प्राप्ति का महत्वपूर्ण साधन बन गई है। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य की जलवायु और भौगौलिक स्थिति के अनुसार यह पद्धति बहुत ही उपयुक्त है। उत्तर प्रदेश में हजारों की संख्या में डिग्री एवं डिप्लोमा उत्तीर्ण करके चिकित्सा अभ्यास कर रहे है।
प्रदेश की विभिन्न संस्थाएं एवं विश्वविद्यालय इसमें शिक्षा प्रदान कर रहे है। यदि उत्तर प्रदेश सरकार इस चिकित्सा पद्धति को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करे तो प्रदेश के स्वास्थ्य बजट में कमी लाई जा सकती है। और प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य संकट से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया जा सकता है।
डॉ. यादव ने कहा कि मान्यता के कई दशक बीत जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश में इस चिकित्सा पद्धति की संस्थाओं की मान्यता और चिकित्सकों के पंजीकरण हेतु कोई नियमावली नही बनाई गई है। जिसके कारण योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में कार्य करने वाले लोगो का भविष्य अधर में है।
भारतीय पुरातन इस चिकित्सा पद्धति का अस्तित्व भी खतरे में है। इन विषमताओं को महसूस करते हुए डॉ. यादव के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, खंड पीठ लखनऊ में एक याचिका दायर करके नियमावली बनाने हेतु गुहार लगाई गई थी।
माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार को नियमावली बनाने हेतु आदेश प्रदान किया था। किंतु आज तक नियमावली नही बनाई गई है। इस अवसर पर योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञों ने शीघ्रता शीघ्र उत्तर प्रदेश में नियमावली बनाने हेतु विचार रखा गया है। इस अवसर पर भारी संख्या में योग विषय के शिक्षक,चिकित्सक तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।