● लॉकडाउन के समय में चुनाव आयोग का चुनाव कराना लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करना।
● छोटी पार्टियों के लिए कोरोना के समय चुनाव कराना आयोग का अन्याय है, आयोग को जमीनी हालत की जानकारी नहीं।
● वर्चुअल और डिजिटल माध्यम का दुरुपयोग कर सकती है भारतीय जनता पार्टी।
लखनऊ। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह में आयोग द्वारा चुनाव की तिथि का ऐलान करना लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करना बताया है आयोग को आम जनमानस के जान की कोई चिंता नहीं है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चुनाव आयोग को देश और उत्तर प्रदेश में तेजी से फैलते कोरोना के मद्देनजर कुछ महीनों के लिए चुनाव टालने पर विचार करने को कहा है ऐसे में चुनाव की तारीख जारी करना लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करना बताया है।
पिछले 24 घंटे में देश में 13,154 कोरोना केस दर्ज किए गए हैं. 25 दिसंबर के बाद लगातार रोज़ाना 10,000 से ज्यादा मामले आ रहे हैं. देश में पॉज़िटिविटी रेट बढ़कर 2.54 प्रतिशत हो गया है. नए आने वाले कोरोना के मरीज़ों में क़रीब आधे ओमिक्रॉन से संक्रमित हैं. देश के कई हिस्सों में इसका कम्युनिटी ट्रांसमिशन भी शुरू हो चुका है. देश और विदेश के एक्सपर्ट लगातार भारत में ओमिक्रॉन की सुनामी आने की चेतावनी दे रहे हैं. संक्रमण रोकने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराने की ज़रूरत महसूस की जा रही है. तमाम एहतियाती क़दम उठाए जा रहे हैं।
ऐसे में चुनाव होने से इसमें और इज़ाफा हो सकता है. पिछले चुनाव में ऐसा ही हुआ था. जिसका खामियाजा बंगाल राज्य को चुकाना पड़ा था सिंह ने आगे कहा है कि हाईकोर्ट ने पहले से ही जब कहा है कि संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक-दो माह के लिए टाल दें, क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी. जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में बताया गया है. हाईकोर्ट ने कोरोना के तेज़ी से फैलने और इसकी वजह से लगातार बढ़ते ख़तरे पर मीडिया में आई ख़बरों का हवाला भी दिया था. लेकिन सरकार के दबाव में चुनाव आयोग कठपुतली बनकर बैठा है। कोरोना की वजह से दुनिया भर में चुनाव टले हैं. इस लिए ऐसे लग रहा था कि चुनाव आयोग कुछ महीनों के लिए चुनाव टाल सकता है. लेकिन चुनाव आयोग ने ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के विचार से सहमति नहीं दिखाई। लगता है कि चुनाव आयोग कठपुतली की तरह काम करता है।
सवाल ये पैदा होता है कि अगर दुनिया भर में कोरोना के चलते चुनाव टाले जा सकते हैं तो फिर भारत में ऐसा क्यों नहीं ? संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जीने का अधिकार देता है. इसकी रक्षा के लिए अगर चुनाव टालना जरूरी हो तो ये फैसला करने में हिचकना नहीं चाहिए. लेकिन जिस तरह चुनाव आयोग ने तय कर लिया है कि चुनाव कराने के हक़ में राय दे रहा है उसे देखते हुए लगता है कि इन्हें जनता की कोई चिंता ही नहीं है. देश में कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है. ज्यादातर राज्यों में भीड़भाड़ करने के लिए रात का कर्फ्यू और दिन में भी कई तरह की पाबंदियां लगाई जा चुकी हैं. चुनाव वाले पांच राज्यों में सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश को कोरोना प्रभावित राज्य घोषित किया जा चुका है. ऐसे हालात में चुनाव कराना लोगो का जीवन ख़तरे में डालना है।