भारत की ओर से प्रदर्शनी के लिए थाईलैंड भेजे गए भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों अरिहंत सारिपुत्त तथा अरिहंत मोदगलायन के पवित्र अस्थि अवशेषों के दर्शन के लिए अब उबोन रत्चथानी शहर में भारी भीड़ उमड़ रही है।
👉🏼लंबे संघर्ष के बाद इंग्लैंड से वापस लाए गए थे पवित्र अवशेष, अब सांची का स्तूप है ठिकाना
थाईलैंड में भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा उबोन रत्चथानी के वाट महा वानाराम में भारत से आए पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी के दूसरे दिन थाईलैंड और पड़ोसी देशों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
Over two hundred thousand devotees pay homage today to the holy relics from 🇮🇳 at Wat Maha Wanaram in Ubon Ratchathani. Tomorrow is the last day of exposition at Ubon Ratchathani before the holy relics travel to Krabi. pic.twitter.com/77WFdw1E7T
— India in Thailand (@IndiainThailand) March 12, 2024
इन्हें प्रदर्शनी के पहले हिस्से के तौर पर 23 फरवरी को बैंकॉक में सनम लुआंग मंडप के एक भव्य मंडपम में स्थापित किया गया था। बैंकॉक के बाद अवशेषों को 4 से 8 मार्च के बीच चियांग माई शहर में भेजा गया।
इन दोनों शहरों में 15 लाख से अधिक लोगों ने पवित्र अवशेषों पर श्रद्धांजलि अर्पित की। अवशेषों पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए थाईलैंड के अलावा कंबोडिया, लाओस और वियतनाम के श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। इसके बाद अवशेषों को दक्षिणी शहर क्राबी ले जाया जाएगा।
इस अवसर पर थाईलैंड में भारतीय दूतावास ने यूपी पर्यटन के सहयोग से बुद्धभूमि भारत: भगवान बुद्ध के नक्शेकदम पर यात्रा’ नामक एक मंडप भी बनाया है, जिसमें भारत की बौद्ध विरासत और समृद्ध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक झलक दिखाई देती है।
उल्लेखनीय है कि बुद्ध के पवित्र अवशेष भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे रहते हैं। उनके अवशेषों को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के पिपरहवा से खुदाई के दौरान प्राप्त किया गया था, जिसे प्राचीन शहर कपिलवस्तु का ही एक हिस्सा माना जाता है।
👉🏼प्रदर्शनी के लिए थाईलैंड पहुंचे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष
इसके अलावा उनके दोनों शिष्यों के अवशेष मध्य प्रदेश के सांची स्तूप में रखे होते हैं। उनके पवित्र अवशेषों की खुदाई 1851 में ब्रिटिश पुरातत्वविदों द्वारा की गई थी और फिर उन्हें इंग्लैंड के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में ले जाया गया था।
हालांकि भारत में महाबोधि सोसाइटी और कई लोगों के प्रयासों से एक लंबे संघर्ष के बाद 1948 में उनके अवशेषों को वापस भारत लाया गया। थाईलैंड में 19 मार्च को प्रदर्शनी के समापन के बाद पवित्र अवशेषों को उनके संबंधित स्थलों पर वापस भेज दिया जाएगा।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी