ऊखीमठ : बुधवार रात बादल फटने के बाद आई आपदा के खौफनाक मंजर को देखकर लोग अभी तक दहशत में है। गहरे होते अंधेरे के बीच बादलों की तेज गर्जना और चमकती बिजली के साथ हो रही तेज बारिश से लोगों को अनहोनी का अंदेशा होने लगा था।यात्रा मार्ग पर दुकान चलाने वाले लोगों के साथ ही अन्य स्थानीय लोग जैसे-तैसे भारी बारिश के बीच ही सुरक्षित स्थान पर पहुंचे और अपनी जान बचाई। संवाद न्यूज एजेंसी के संवाददाता विनोद नौटियाल ने इस मंजर के प्रत्यक्षदर्शियों से बात की और उनकी आपबीती सुनी।
पेंज गांव के रणजीत सिंह पटवाल ने बताया कि बुधवार 31 जुलाई 2024 की रात कभी नहीं भूल सकता। शाम 7.30 बजे से गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच मूसलाधार बारिश होने लगी थी। पलभर के लिए बारिश थमी नहीं। आधा घंटे में ही मंदाकिनी का जलस्तर उफान पर आ गया, तभी लगने लगा था कि कुछ अनहोनी होने वाली है। चोराबाड़ी क्षेत्र से लेकर भैरवनाथ मंदिर व वासुकीताल क्षेत्र की तरफ से आसमान में लगातार बिजली चमक रही थी, जिसकी रोशनी में पलभर के लिए नजर आ रहे गजरते काले बादल डरा रहे थे।
सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए दुकानों को बंद कर ऊपर जंगल की तरफ भागे। अभी कुछ ही दूर पहुंचे थे कि जोरदार आवाज के साथ कई जगहों से भारी मात्रा में पत्थर व मलबा गिरने की आवाज सुनाई देने लगी। मंदाकिनी नदी का उफान शोर मचाते हुए अंधेरे में तबाही को बयां कर रहा था। रामाबाड़ से करीब एक किमी ऊपर बुग्यालली क्षेत्र में एक गुफा में जैसे-तैसे रात गुजारी। अब जैसे-तैसे कई किमी अतिरिक्त पैदल दूरी तय कर चौमासी पहुंचे हैं।
सज्जन सिंह राणा ने कहा कि हम लिनचोली के समीप थारू कैंप में थे। बारिश तेज होते ही रात आठ बजे तक मैं और करीब 15-20 लोग जंगल क्षेत्र के बुग्याल में चले गए। रात्रि नौ बजे के करीब बारिश थम गई थी, लेकिन वह दोबारा कैंप व दुकानों तक आने की हिम्मत नहीं जुटा सके। बृहस्पतिवार की सुबह बुग्याल से नीचे नजर दौड़ाई तो पूरे पैदल मार्ग पर जगह-जगह मलबे व बोल्डर के ढेर दिख रहे थे।