महाराष्ट्र की सरकार में एनसीपी से बागी होकर अजित पवार गुट की एंट्री से सीएम एकनाथ शिंदे नाराज बताए जा रहे हैं। इस बीच गुरुवार को रात दो बजे तक मीटिंग चली है, जिससे कयासों का दौर तेज हो गया।
यह मीटिंग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच हुई। कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में पावर शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई है कि नए हालातों में किसके पास क्या जिम्मेदारी दी जाए, जिससे शिवसेना से आए विधायक नाराज भी ना हों और सरकार चलती रहे। अजित पवार सरकार में नए डिप्टी सीएम बने हैं और उनके 8 अन्य समर्थक विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली है।
अजित पवार की एंट्री के बाद यहां तक चर्चाएं छिड़ गई थीं कि अब एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में है। हालांकि भाजपा ने भी इस मामले में जवाब दिया और कहा कि एकनाथ शिंदे सीएम बने रहेंगे और हम उनकी लीडरशिप में ही महाराष्ट्र में लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। वहीं एकनाथ शिंदे गुट के सीएम उदय सामंत ने कहा, ‘हम इस्तीफा देने वाले नहीं हैं बल्कि लेने वाले हैं। हम सभी एकनाथ शिंदे जी की लीडरशिप में काम कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि फडणवीस और एकनाथ शिंदे की मीटिंग में कैबिनेट विस्तार पर भी चर्चा हुई है। जल्दी ही महाराष्ट्र सरकार में एक बार फिर से कुछ और मंत्री शपथ ले सकते हैं।
ये मंत्री एकनाथ शिंदे गुट और भाजपा से बनाए जाएंगे। एकनाथ शिंदे के साथ आए विधायकों में से कई ऐसे हैं, जो उद्धव राज में मंत्री थे, लेकिन अब तक उन्हें मौका नहीं मिला है। इन लोगों का कहना है कि अजित पवार की एंट्री से उनके हक मारे जा सकते हैं। ऐसे में सबको साधने के मकसद से कैबिनेट विस्तार की तैयारी है। चर्चा है कि इन लोगों के नाम फाइनल करने के लिए ही शिंदे और फडणवीस की मीटिंग हुई थी।