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बारिश व नहर के कुलावों से पानी आने से 60 एकड़ से अधिक फसल हुई जलमग्न

मूंगफली, मक्का, बाजरा, सकरकंद, बालवाली धान को भारी नुकसान, किसानों बोले तत्काल मिले मुआवजा

बिधूना। क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश और रामगंगा नहर के कुलावों से पानी छोड़े जाने के कारण नहर किनारे के करीब 60 एकड़ से अधिक भूमि पर खड़ी 40 से अधिक किसानों की फसलें जलमग्न हो गयीं हैं। खेतों में पानी के भरने से किसानों की मूंगफली, मक्का, बाजरा, सकरकंद के अलावा जिस धान की फसल में बाली निकल आयी है उसकों भरी नुकसान है। खेतों में पानी के भरने से किसानों ने फसलों के नुकसान पर चिंता प्रकट करते हुए कुलावा से पानी छोड़े जाने को लेकर अपना आक्रोश भी व्यक्त किया है।

तहसील क्षेत्र के पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के बीच रामगंगा नहर के तीन बड़े  कुलावों से पानी छोड़े जाने से कुछ ही घंटों बाद नहर किनारे स्थित 3 सौ बीघा से अधिक खेतों में घुटनों के बराबर पानी भर गया और उनमें खड़ीं फसलें डूब गयीं। इनमें अधिकांश खेत डोंडापुर गांव के किसानों के हैं। खेतों में पानी भरने की जानकारी होते ही किसान अपने खेतों पर पहुंच गये और अपनी फसलों की बर्बादी के लिए नहर विभाग को जिम्मेदार बताया। यही नहीं बारिश और नहर के कुलावों से निकला पानी गांव के किनारे बने मकानों तक पहुंच गया है। राम मोहन शाक्य के मकान पानी से घिर गया है जिससे परिजन घरों में कैद होने को मजबूर हो गये हैं।

इन किसानों की डूबीं फसलें –डोंडापुर निवासी सुनील तिवारी, बीरेन्द्र तिवारी, राजेन्द्र सविता, महेन्द्र सविता, अजय कुमार तिवारी, प्रेम चन्द्र शाक्य, सुभाष तिवारी, हरिश्चन्द्र दिवाकर, डिप्टी सेंगर, अमर सिंह, ज्ञान श्री, चन्द्रेश्वर शाक्य, मोहित तिवारी, राम बालक बाथम, किशन गोपाल, अनुप दुबे, राममोहन शक्य, धर्मेन्द्र शाक्य, कृष्ण कान्त त्रिवेदी, अरविन्द भदौरिया, रामदत्त सविता, कमलेश तिवारी, राजू सविता, लल्लू सविता आदि शामिल हैं। इसके अलावा पलिया गांव के किसानों के खेतों में खड़ी फसल भी डूब गयी है।

किसान बोले हो गये बर्बाद, मुआवजा न मिला तो खाने को पड़ेंगे लाले –सुनील तिवारी ने बतया कि उनकी 10 बीघा भूमि में बाजरा और मक्का की फसल थी जो बर्बाद हो गयी है, अब खाने के लिए कुछ बचा नहीं है, मुआवजा न मिला तो आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं है। हरिश्चन्द्र दिवाकर ने बताया कि उनके 10 बीघा खेत में बाजरा था सब पानी में डूब गया है। गगनदीप तिवारी ने बताया कि उनके दो बीघा में मंगफली, 4 में मक्का व 5 में बाजरा था जो डूब गया है।

किसानों ने बताया कि नहर का पानी खेतों में आने से हमारी फसलें बर्बाद हो गयीं हैं। महिला किसान ज्ञान श्री ने कहा कि खेतों में पानी भरने से हमारी फसलें बर्बाद हो गयीं हैं। कहा कि वह कटौती पर लेकर खेती किसानी कर करती है, फालों के पानी में डूबने से उनके साथ्ज्ञ वह भी बर्बाद हो गयी है। हमें तत्काल मुआवजा दिलाया जाये, अगर मुआवजा न मिला तो वह भूखों मरने को मजबूर होंगे।

इस संबंध में तहसीलदार जीतेश वर्मा ने बताया कि कुलावों के किसान ही खोल देते हैं। अगर जलभराव की समस्या से फसलें डूब रहीं हैं, तो कुलावा जल्द बंद कराये जायेंगे।

रिपोर्ट – राहुल तिवारी/संदीप राठौर चुनमुन

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