लखनऊ। आश्विन माह संक्रान्ति पर्व के अवसर पर 17 सितम्बर शनिवार को ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिण्डोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। सायं का विशेष दीवान रहिरास साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ उसके उपरान्त रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुर वाणी में “असुनि प्रेम उमाहड़ा किउ मिलीअै हरि जाई। मनि तनि पिआस दरसन घणी कोई आणि मिलावै माई।”
गायन एवं नाम सिमरन द्वारा समूह संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह ने आश्विन माह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस माह में प्रभु मिलाप के लिए मन में चाव एवं भाव उठते हैं। गुरु जी फरमाते हैं कि मुझे प्रभु प्रेम का झोंका सा आया कि मैं प्रभु प्यारे से किस प्रकार जाकर मिलूं। मेरे मन एवं तन में प्रभु मिलाप की प्यास लगी है इसलिये कोई उसका प्यारा उस मालिक से मुझे मिला दे।
कहते हैं कि संत लोग प्रभु प्रेम के रंग में रंगे होते हैं, प्रभु के बिना कोई सहारा देने वाला नही है। सिमरन साधना परिवार के बच्चों ने भी इस कार्यक्रम में शबद कीर्तन गायन कर वातावरण को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया।
लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने नगरवासियों को आश्विन माह संक्रान्ति पर्व की बधाई दी। हरमिन्दर सिंह टीटू महामंत्री की देखरेख में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा गुरू का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी