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क्या इंडस्ट्री नहीं जानती एक मॉडर्न वुमन की परिभाषा? यश चोपड़ा की फिल्म का उदाहरण देकर बोले जावेद अख्तर

बॉलीवुड के मशहूर लेखक जावेद अख्तर बहुत स्पष्टता के साथ अपनी बात रखना पसंद करते हैं. वे कई सारे समारोह का हिस्सा बनते हैं जिसमें वे अपने विचारों को व्यक्त करते नजर आते हैं. हाल ही में उन्होंने रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल के बारे में बात की जिसे लेकर सोशल मीडिया पर लोग दो भागों में बटते नजर आए. इसके बाद उन्होंने हाल ही में इंडस्ट्री में एक सशक्त महिला के किरदार के बारे में बात की. इस दौरान उन्होंने यश चोपड़ा की भी एक फिल्म का जिक्र करते हुए उनकी फिल्म के अप्रोच का विरोध किया.

जावेद अख्तर से पूछा गया कि इंडस्ट्री में एक मॉडर्न वुमन की परिभाषा क्या है. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अलग-अलग दृष्टिकोण से इस चीज को देखा जा सकता है. ऐसे में इस बात को लेकर क्लियरिटी बहुत कम है कि एक मॉडर्न वुमन की परिभाषा क्या होगी. हमारी पीढ़ी इसे डिफाइन ही नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी जैसी एक्ट्रेस को अपने करियर में मन लीड रोल नहीं मिले. उन्होंने अच्छे रोल्स किए लेकिन उन्हें बंदिनी, सुजाता और मदर इंडिया जैसे रोल्स नहीं मिले.

दिया यश चोपड़ा की फिल्म का उदाहरण

इसके बाद आगे उन्होंने यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म जब तक है जान का उदाहरण देकर इस बात को और एलाबोरेट करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि यश जी ने अपने करियर में कई सारी फिल्में की हैं. लेकिन उनकी फिल्म जब तक है जान में दिखाया गया था कि किस तरह से एक महिला, एक शख्स से कह रही है कि वो शादी करने से पहले हर देश के मर्द के साथ सोना चाहती है. इम्पावर्ड होने के लिए इतने सबकी जरूरत नहीं होती है. वो ऐसा इसलिए कह रही है क्योंकि अभी भी हम सभी यही ढूंढ़ने में लगे हैं कि आखिर एक आदर्श महिला की परिभाषा आज के युग में क्या है.

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