अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को लेकर एक बार फिर से विश्व स्वास्थ्य संगठन पर निशाना साधा है. ट्रंप ने संगठन पर चीन के लिए जनसंपर्क एजेंसी की तरह काम करने का आरोप लगाया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को WHO को “चीन के हाथों की कठपुतली” बताया और कहा कि अमेरिका पहले डब्ल्यूएचओ के बारे में जल्द ही कुछ सिफारिशें लेकर आएगा और उसके बाद चीन के बारे में भी ऐसा ही कदम उठाया जाएगा. ट्रंप ने कोरोना वायरस महामारी पर डब्ल्यूएचओ पर कहा, ” उन्होंने हमें गुमराह किया.”
डोनाल्ड ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने ऐसा कुछ भी देखा है, जिससे पता चलता है कि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से ही कोरोना वायरस की शुरुआत हुई है, तो उन्होंने कहा कि हां, मैंने देखा है. ट्रंप ने कहा, ‘मुझे लगता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को शर्म आनी चाहिए क्योंकि वह चीन के लिए एक पीआर एजेंसी की तरह है.
Yes, I have. I think World Health Organisation should be ashamed of themselves because they are like the public relations agency for China: US President Trump on being asked if he has seen anything that suggests the Wuhan Institute of Virology in China was the origin of #COVID19 pic.twitter.com/8ZYJUVid84
— ANI (@ANI) April 30, 2020
ट्रंप ने कोरोना वायरस फैलने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की जांच शुरू की है और संगठन पर महामारी के दौरान चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया है. जांच लंबित रहने तक राष्ट्रपति ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका से दी जाने वाली सहायता भी रोक दी है. यह जांच चीन की भूमिका देखेगी और साथ में यह भी पता लगाएगी कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर में कैसे फैला. ट्रंप से पूछा गया ” आपने खुफिया एजेंसियों से जो जांच शुरू कराई है, उससे आप चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बारे में क्या जानने की उम्मीद कर रहे हैं?”
ट्रंप ने कहा, “हम इससे खुश नहीं है और हम डब्ल्यूएचओ में सबसे ज्यादा योगदान करते हैं.. और उन्होंने हमें गुमराह किया. मुझे नहीं पता. वे जो जानते थे, उन्हें उससे ज्यादा पता होना चाहिए था.” ट्रंप ने कहा कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ को औसतन 40-50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता देता है और चीन 3.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर देता है. फिर भी डब्ल्यूएचओ चीन के लिए काम करता प्रतीत होता है. उन्हें मालूम होना चाहिए था कि चल क्या रहा है और उन्हें इसे रोकने में सक्षम होना चाहिए था. एक सवाल के जवाब में राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत सारे विभिन्न लोग और समूह हैं जिन्हें अमेरिका यह धन दे सकता है और वे काफी उपयोगी होंगे.