लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित ऐशबाग ईदगाह के सामने लगभग पांच हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाये जा रहे “भारत रत्न डा. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र” परिसर में बाबा साहब का अस्थि कलश भी स्थानांतरित किए जाने की संभावना है। फिलहाल अनुयायियों की आस्था का केंद्र बाबा साहब का अस्थि कलश 1991 से विधानसभा मार्ग स्थित आंबेडकर महासभा के भवन में स्थापित है।
बीते मंगलवार (29 जून) को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने भारत रत्न डा. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का आधारशिला रखी थी। राज्य सरकार की योजना है कि युवा पीढ़ी को डा. आंबेडकर के आदर्शों से परिचित कराने के लिए संस्कृति विभाग द्वारा बनवाए जा रहे इस प्रेरणा स्थल पर डा. आंबेडकर के दर्शन एवं विचारों, उनके आदर्शाें एवं शिक्षाओं व भारत के नवनिर्माण में उनके योगदान पर शोध करने के लिए एक संदर्भ पुस्तकालय और संग्रहालय बनाया जाएगा। प्रवेश द्वार के ठीक सामने आंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा भी लगाई जाएगी।
सांस्कृतिक केंद्र में पुस्तकालय, शोध केंद्र, अत्याधुनिक प्रेक्षागृह, संग्रहालय, डारमेट्री, कैफेटेरिया, भूमिगत पार्किंग और अन्य जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी। बाबा साहब की पवित्र अस्थियों का कलश भी यहां स्थापित करने का फैसला हो चुका है। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोकभवन के ठीक बगल में स्थित भारत रत्न डा. भीमराव आंबेडकर महासभा के भवन में 1991 में आंबेडकर के अस्थि कलश की स्थापना की गई थी। यह स्थल ‘बाबा साहेब डा. भीमराव रामजी आंबेडकर अस्थि कलश स्थल’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह आंबेडकर के अनुयायियों की आस्था का केंद्र है।
आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर प्रधानमंत्री कर सकते हैं उद्घाटन
अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डा. लालजी प्रसाद निर्मल का कहना है कि राष्ट्रपति ने भारत रत्न डा. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रखकर डा. आंबेडकर का सम्मान बढ़ाया है। निर्माण होने के बाद महासभा में रखा गया अस्थि कलश केंद्र में स्थापित होगा। केंद्र में बाबा साहब पर शोध होंगे और लोग उनकी जीवनी के बारे में और विस्तार से जानकारी कर पाएंगे।
महासभा का अस्तित्व बना रहेगा और महासभा नवनिर्मित केंद्र में भागीदार होगी। उनका कहना है कि विधानसभा मार्ग स्थित महासभा के भवन में भविष्य में जो कुछ होगा, वह अच्छा ही होगा। अभी फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस केंद्र के निर्माण करने का निर्णय स्वागत योग्य है। ऐसा माना जा रहा है कि भव्य स्मारक का निर्माण दिसंबर तक पूरा हो जाएगा और आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस यानी छह दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन कर सकते हैं।