दक्षिण-पूर्व एशिया (South China Sea) में स्थित देश मलेशिया ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर में वह चीनी हस्तक्षेप के खिलाफ अपनी संप्रभुता और हितों की रक्षा करेगा। मलेशिया का यह बयान दक्षिण चीन सागर में मलेशियाई ऊर्जा परियोजनाओं पर चीन की आपत्ति के बाद आया है।
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मलेशियाई प्रधान मंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर के एक हिस्से में मलेशिया की सरकारी एनर्जी फर्म पेट्रोनास की गतिविधियों पर चीन ने चिंता जताई है, जबकि यह प्रोजेक्ट उसकी भौगोलिक सीमा क्षेत्र में है।
हालांकि, अनवर ने कहा है कि वह चीन के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार हैं। उनकी इस पहल की विपक्षी नेताओं ने आलोचना की है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि अनवर चीन से बातचीत का प्रस्ताव देकर मलेशिया की संप्रभुता को खतरे में डाल रहे हैं। विपक्षी नेताओं के बयान के बाद मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि अनवर की टिप्पणी का मतलब दक्षिण चीन सागर से संबंधित सभी मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से संप्रभुता से समझौता किए बिना हल निकालना है।
बता दें कि चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता रहा है। इस सागर के माध्यम से सालाना लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर का जहाज-जनित व्यापार होता है। इस सागर पर मलेशिया-चीन के अलावा ब्रुनेई, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी अपना-अपना दावा करता रहा है।
दक्षिण चीन सागर में मलेशिया के एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन (EEZ) के अंदर पेट्रोनास तेल और गैस क्षेत्रों का संचालन करता है। हाल के वर्षों में पेट्रोनास के साथ चीनी जहाजों ने कई टकराव खड़े किए हैं। चीन इस सागर में अपने नक्शे पर “नौ-डैश लाइन” के संदर्भ में अपना दावा करता है, जो मुख्य भूमि के दक्षिण में 1,500 किमी तक दूर है। इस दावे से वियतनाम के ईईजेड में कटौती होती है। इसके अलावा फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के हितों की भी कटौती होती है।
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मंत्रालय ने कहा “मलेशिया की सरकार दक्षिण-पूर्व एशिया (South China Sea) में अपने समुद्री क्षेत्रों में मलेशिया की संप्रभुता, संप्रभु अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए स्पष्ट रूप से और दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।”