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दुम दबा के ड्रैगन भागा

आशुतोष, पटना (बिहार)

दुम दबा के ड्रैगन भागा

जिनको हमने दोस्त बनाया।
वही पीठ पर भोके खंजर।।
जिनको हमने अपना माना।
उनके हाथ खून से लता पथ।।

देखो चीन पुनः सीमा पर।
युद्ध करने के लिए आया है।।
भारत ने भी ठान लिया है।
अक्साई भारत बनाना है।।

तम्बू गाड़े या बनाये बंकर।
सब मिटा देंगे वीर बनकर।।
सैनिकों में जोश भरकर।
हम बढ़ायेगे अपनी सरहद।।

पुरानी हो चुकी वो युद्ध प्रणाली।
जो बासठ में तुमने देखी थी।।
धोखे से आकर तूने।
खून की होली खेली थी।।

अब यह बीस बीस का।
विकसित भारतवर्ष है।।
एक जवान बीस बीस चीनी पर।
भारी पड़ा था15 जून की रात थी।।

है औकात तो बताओ अपनों को।
हमने कितनो की गर्दन तोडी थी।।
दौडा दौडा कर पीटा गया।
दुम तुम्हारी जात भाग गया।।

अब न तेरा कोई दोस्त यहाँ।
जो समझौते कराएगा।।
डरा धमाका कर मनमानी करे।
अब और न हिन्द सहन करेगा।।

याद कर लेना सन 67 को।
जब भगा भगाकर मारा था।।
भारत तो सोने की चिड़िया।
उसे पाने की जिद छोड़ दे।।

अपनी हद मे रहो नही तो।
तिब्बत और बुहान से मोह छोड़ दे।।
दुनिया के नक्शे चीन सिमट जाएगा।
भारत के सामने तू कहा टिक पाएगा।।

उकसाने की गुस्ताखी न कर।
नेपाल बंगला देश पाक हमारे औलाद है।।
कहाँ तक जाएँगे यह।
सबके रहे हम बाप हैं।।

देखो प्रधानमंत्री गरज रहे।
ड्रैगन के पतलून फट रहे।।
तैयारी है पूरी अबकी बार।
एक बार हम जाए उसपार।।

हाथो में सुर्दशन गन।
दिलो में हिम सा हौसला है।।
आ जाओ सामने से।
देखे तू कितना जोशीला है।।

भारत जल थल नभ में।
भारी है तुमसे ड्रैगन।।
संख्या बल हमारे कम होंगे।
मगर बीस तीस पर एक भारी मसला है।।

यहाँ अभिमानी टिके नही।
क्योंकि हम स्वाभिमानी हैं।।
तूझे घमंड है अपनी शक्ति पर।
हमने कईयो के घमंड चूर किए।।

पढ लेना इतिहास हमारे पूर्वजो की।
एक राम संघार किए समूचे असूरो की।।
और तुमसे भी जीतेंगे।
भारत माँ की खातिर , हर घर से फौजी निकलेंगे।।

आशुतोष, पटना (बिहार)

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