लखनऊ। डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (Dr. Shakuntala Mishra National Rehabilitation University) के कुलपति प्रो संजय सिंह (VC Prof. Sanjay Singh) ने विश्वविद्यालय और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India) की संयुक्त शोध टीम (joint research team) को यूके (UK) में सात डिजाइन पेटेंट प्राप्त करने पर बधाई दी है।
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कुलपति ने विशेष रूप से विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक दिनेश कुमार निषाद, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के सहायक महाप्रबंधक डॉ सैफुल्लाह खालिद और धर्मेंद्र प्रकाश तथा टीम के अन्य सदस्यों – मिधुन चक्रवर्ती, शशि कांत गुप्ता और अल्केश अग्रवाल की इस उपलब्धि की सराहना की है।
यह अभिनव तकनीक कोहरे से निपटने के लिए कई प्रकार के विशेष ड्रोन का उपयोग करती है। इनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सीडिंग सिस्टम है जो वायुमंडल में विशेष कणों का छिड़काव कर दृश्यता बढ़ाता है। स्वचालित कोहरा निवारण प्रणाली उन्नत एल्गोरिदम का उपयोग करती है। मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजिंग सिस्टम वास्तविक समय में कोहरे का पता लगाता है और मैपिंग करता है। यूवी किरणों से युक्त ड्रोन प्रणाली कोहरे को प्रभावी ढंग से नष्ट करती है।
पेटेंट और उनके अनुप्रयोग
1. एआई-संचालित यूएवी सीडिंग सिस्टम (पेटेंट संख्या: 6422704)
वायुमंडलीय दृश्यता बढ़ाने के लिए विशेष कणों का स्वचालित छिड़काव।
2. स्वचालित कोहरा निवारण यूएवी (पेटेंट संख्या: 6422712)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा कोहरे का स्वचालित निवारण।
3. हाइब्रिड यूएवी (पेटेंट संख्या: 6422703)
एआई-आधारित उड़ान अनुकूलन द्वारा कोहरा निवारण।
4. बहुउद्देशीय मौसम यूएवी (पेटेंट संख्या: 6422711)
मौसम संबंधी आंकड़ों का संग्रहण और प्रसार।
5. मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजिंग डिवाइस (पेटेंट संख्या: 6422710)
वास्तविक समय में कोहरे का पता लगाना और मैपिंग।
6. पोर्टेबल यूवी रे जनरेटर यूएवी (पेटेंट संख्या: 6422706)
वायुमंडलीय संशोधन के लिए पोर्टेबल यूवी किरण उत्पादक।
7. एकीकृत यूवी रे यूएवी (पेटेंट संख्या: 6422705)
कोहरा निवारण के लिए एकीकृत यूवी किरण प्रणाली।
इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग हवाई अड्डों पर विमानों की सुरक्षित लैंडिंग, राजमार्गों पर यातायात सुरक्षा, रेल परिवहन में दृश्यता बढ़ाने और शहरी क्षेत्रों में कोहरे से होने वाली समस्याओं के समाधान में किया जा सकता है।
यह उपलब्धि विश्वविद्यालय और एएआई के बीच अकादमिक-उद्योग सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भविष्य में और अधिक नवाचारों का मार्ग प्रशस्त करेगी।
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