जन्म के बाद शिशु का सांस न लेना हैं बर्थ एसफिक्सिया का लक्षण
कानपुर नगर। बर्थ एसफिक्सिया या जन्म श्वासरोधक एक ऐसी दशा हैं जिसमें नवजात पैदा होने के बाद न तो रोता है और न ही सांस लेता हैं। यह बच्चे के मस्तिष्क में आक्सीजन की कमी के कारण होता हैं। आक्सीजन की कमी होना मुख्तय: बच्चे के मुंह में गंदा पानी चले जाने, कम वजन का होने, समय से पूर्व पैदा होने, या जन्मजात दोष होने की वजह से हो सकती है। इस दौरान यदि नवजात को तुरंत उचित देखभाल नहीं मिलती हैं तो उसकी जान जाने का भी खतरा हो सकता हैं। जिला अस्पताल के सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट के नोडल आफिसर डॉ० रंजीत कुशवाहा का ने दी जानकारी।
यूनिसेफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया की उत्तर प्रदेश में लगभग 20 प्रतिशत शिशुओं की मौत दम घुटने की वजह से होती है। यह स्थिति ज़्यादातर जन्म के पहले एक घंटे के अंदर होती हैं। वही विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में अधिकांश नवजात मृत्यु (75%) जीवन के पहले सप्ताह के दौरान होती है और इन सबकी मृत्यु का प्रमुख कारण प्रसव पूर्व जन्म, अंतर्गर्भाशयी संबंधी जटिलताओं (जन्म के समय श्वासनली या जन्म के समय सांस लेने में कमी), संक्रमण और जन्म दोष आदि हैं। इसलिए पहले एक घंटे में नवजात शिशुओं की उचित देखभाल की सबसे अधिक जरूरत होती हैं, क्योंकि यह एक घंटा नवजात के लिए काफी मुश्किल भरा होता हैं, जरा सी भी चूक होने पर शिशु की मृत्यु हो सकती हैं। एसफिक्सिया की वजह मस्तिष्क को हमेशा के लिए क्षति हो सकती हैं और इसकी वजह से जीवन पर्यन्त अपंगता हो सकती हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिले आकड़ों के अनुसार जनपद में अप्रैल 2023 से लेकर 15 दिसंबर तक कुल 310 नवजात शिशुओं को भर्ती किया गया जिसमें लगभग 135 नवजात शिशुओं में जन्म श्वासरोध की समस्या थी, जिनमें से 17 नवजात शिशुओं को मेडिकल कालेज रेफर किया गया तथा 110 नवजात शिशुओं को जिला अस्पताल के सिक न्यू बोर्न केयर में भर्ती करके ठीक किया गया। वर्तमान समय में सभी शिशु स्वस्थ हैं।
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इस स्थिति से शिशुओं को बचाने के लिए एक ओर सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट हैं वही दूसरी ओर आशाओं को भी गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल माड्यूल प्रशिक्षण 6-7 के तहत प्रशिक्षित किया जाता है। जैसे कि यदि किसी बच्चे के अंदर गंदा पानी चला गया हैं तो आशाओं को प्रशिक्षित किया गया हैं कि वह म्यूकस एक्सट्रेक्टर के द्वारा गंदा पानी बाहर निकाल सकती हैं जिससे नवजात की जान बच सकें।
डॉ० कुशवाहा ने बताया कि नवजात में जन्म श्वासरोधक होने का मुख्य कारण बच्चे के मुंह में गंदा पानी के चले जाने के कारण होता हैं। उन्होने बताया कि ऐसे में इस समस्या से बचाव के लिए बच्चे कि स्थिति बदल देनी चाहिए ताकि बच्चा उल्टी कर सकें और गंदा पानी बाहर निकल सकें। इसके अलावा बच्चा जैसे ही बाहर आए तो बच्चे का मुंह और नाक साफ कपड़े से साफ कर देना चाहिए ताकि जो भी गंदा पानी है वह बाहर आ सकें और बच्चा आसानी से सांस ले सकें। साथ ही नवजात को मशीनों के द्वारा भी आक्सीजन दी जाती हैं ताकि शिशु आसानी से सांस ले सकें।
बर्थ एसफिक्सिया के संकेत और लक्षण
उन्होंने बताया कि सामान्यतः प्रीमैच्योर बच्चों को इसका रिस्क ज्यादा हेाता है। इसके अलावा जिन गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज मेलिटस या प्रीक्लेम्पसिया है, उनमें इसका रिस्क काफी ज्यादा होता है। इसके अलावा बर्थ एसफिक्सिया के लक्षण डिलीवरी के पहले, दौरान और बाद में नजर आ सकते हैं। जन्म पूर्व भ्रूण की धड़कनों की गति बदल सकती है, पीएच का स्तर कम हो सकता है। पीएच स्तर कम होने का मतलब है कि शरीर में एसिड का स्तर काफी बढ़ गया है। इसके अलावा कुछ निम्न संकेत और लक्षण से आप जान सकते हैं कि बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन या रक्त संचार कम हो रहा है जैसे–
- त्वचा की रंगत असामान्य होना।
- शिशु का शांत होना या न रोना।
- हृदय की गति कम होना।
- सांस लेने में कठिनाई।
- मिर्गी के दौरे।
- बच्चे का सुस्त होना।
- खून का दबाव कम होना।
- पेशाब कम आना।
- असामान्य रक्त के थक्के जमना।
रिपोर्ट- शिव प्रताप सिंह सेंगर