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पंचायत चुनाव के कारण बदल सकती हैं UP बोर्ड परीक्षा की तारीख, अब इस तारीख से एग्जाम शुरू होने की उम्मीद

यूपी बोर्ड की परीक्षाओं की तारीखें बदल सकती हैं. राज्य में पंचायती चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों के मद्देनजर यूपी बोर्ड की परीक्षाएं अब मई से शुरू की जा सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ दिनों में बोर्ड परीक्षा की नई तारीखों (UP Board Exam Dates) को अंतिम रूप दिया जाएगा. अधिकारियों के अनुसार, परीक्षाएं 8 मई से शुरू होकर 30 मई तक समाप्त होने की संभावना है. हालांकि आधिकारिक तौर पर अब तक यूपी बोर्ड परीक्षा की तारीख पर कोई जानकारी सामने नहीं आई है. माध्यमिक शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक परिक्षाओं को मई में ही संपन्न कराकर जून के अंत तक परिणाम घोषित कराने की योजना है. परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र सहित अन्य व्यवस्थाएं पहले से ही तैयार है. कहा जा रहा है कि परीक्ष की तारीखों पर मुख्यमंत्री की मुहर लगते ही नई डेटशीट जारी कर दी जाएगी.

बता दें कि साल 2021 की परीक्षाओं के लिए हाई स्कूल के 29,94,312 छात्रों और इंटरमीडिएट के 26,09,501 छात्रों यानी कि कुल 56,03,813 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इस साल परीक्षाओं के लिए 8,513 परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे.

यूपी बोर्ड की स्थापना और उसके अब तक के सफर पर नजर डालें तो 1921 में इलाहाबाद में संयुक्त प्रांत विधान परिषद के एक अधिनियम के तहत इसकी स्थापना की गई थी. इसके बाद 1923 में इसने पहली परीक्षा आयोजित की थी. इन 100 वर्षों के समय में इसके हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं में उपस्थित होने वाले छात्रों की संख्या 976 गुना बढ़ गई है. इसके साथ ही यह परीक्षाएं संचालित कराने वाले दुनिया के सबसे बड़े निकायों में शामिल हो चुका है. उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार 1923 में 179 केंद्रों पर आयोजित की गई पहली बोर्ड परीक्षा के लिए 5,744 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था.

इसके बाद 1947 में परीक्षार्थी की संख्या बढ़कर 48,519 और केंद्रों की संख्या 224 और 1952 में छात्रों की संख्या बढ़कर 1,72,246 हो गई थी. पिछले कुछ सालों में नकल विरोधी सख्त कदम उठाए जाने के बाद रजिस्ट्रेशन कराने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई थी, लेकिन इसके बाद भी यह संख्या ज्यादा ही है. समय के साथ यूपी बोर्ड ने मेरठ (1973 में), वाराणसी (1978), बरेली (1981), प्रयागराज (1987) और गोरखपुर (2017) में भी अपने क्षेत्रीय कार्यालय खोले. बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, “परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ने से काम का बोझ भी कई गुना बढ़ गया है. साथ ही निष्पक्ष परीक्षाओं के लिए कई नकल विरोधी उपाय करने के अलावा नई तकनीकें भी अपनाई गई हैं.”

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