16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली की सड़कों पर जिस चलती बस निर्भया (Nirbhaya) नाम की लड़की के साथ गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape Case) हुआ, वही बस व उसके अंदर मिले सबूत बाद में जाँच के दौरान इस मुद्दे की अहम कड़ी साबित हुए थे। निर्भया काण्ड के आरोपियों को सजा दिलाने में इस बस की जरूरी किरदार थी। आज जब निर्भया के दोषियों को फांसी (Death Sentence) देने की चर्चाएं हो रही हैं, News 18 India आपको बताएगा उस बस की पूरी कहानी। अभी कहां व किस हालत में है वह बस? दरअसल, देश को झकझोर देने वाली घटना की जरूरी कड़ी रही ये बस, आजकल कंडम हालत में दिल्ली के सागरपुर इलाके में खड़ी है।
क्या हुआ था उस रात
16 दिसंबर की रात सफेद रंग की यह बस नंबर 0149 रविदास कैंप में प्रतिदिन की तरह खड़ी थी। तभी बस का मुख्य ड्राइवर राम सिंह प्लान बनाता है कुछ खुरापात करने की। उसके साथ मुकेश, अक्षय, पवन, विनय व एक नाबालिग भी थे। सभी लोग बस लेकर रविदास कैंप आरके पुरम से निकलते हैं। आरके पुरम में बस में CNG डलवाई जाती है। फिर अफ्रीका एवेन्यू होते हुए यह बस IIT फ्लाईओवर पुलिस कॉलोनी पर पहुंचती है। वहां एक शख्स राम आधार हाथ देकर बस रुकवा कर उसमें सवार होता है। उसके साथ ये आरोपी लूटपाट कर उसे बस से फेंक देते हैं। चलती हुई बस इस दौरान हौजखास गोल्डन ड्रेगन रेस्टोरेंट की रेड रोशनी से यू-टर्न लेकर मुनिरका बस स्टैंड पहुंच जाती है।
निर्भया व दोस्त हुए सवार
मुनिरका बस स्टैंड के पास निर्भया व उसका दोस्त खड़े थे। बस से नाबालिग आवाज लगाता है, ‘पालम, नजफगढ़, द्वारका’। लड़की व उसका दोस्त पालम जाने का किराया पूछकर बस में बैठ जाते हैं। बस में ड्राइवर केविन था व ड्राइविंग सीट पर भगवान शिव की मूर्ति लगी थी। बस में महरून कलर के पर्दे लगे हुए थे। निर्भया व उसका दोस्त बस में बायीं तरफ कंडक्टर की सीट के पीछे दूसरी पंक्ति की सीट पर बैठे हुए थे। पैसे लेते वक्त एक आरोपी ने निर्भया पर बुरी नजर डाली। निर्भया के दोस्त ने विरोध किया तो सभी उसे पीटने लगे। निर्भया का दोस्त बस की सीट के नीचे छुप गया। उसके बाद निर्भया के साथ बारी-बारी से सभी आरोपियों ने हैवानियत की। इस दौरान बस महिपालपुर से यूटर्न होते हुए दिल्ली कैंट के बाद पालम फ्लाईओवर होते हुए फिर यूटर्न लेकर रंगपुरी के रास्ते पर पहुंच गई, जहां महिपालपुर इलाके में लड़की व उसके दोस्त को आरोपियों ने नीचे फेंक दिया। आरोपियों ने उन दोनों पर बस चढ़ाने की भी प्रयास की। वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी बस लेकर रविदास कैंप पहुंच गए, जहां सभी ने अपने व निर्भया और उसके दोस्त के कपड़े जलाए। बाकी बचे कपड़े जमीन में गाड़ दिए व बस को धो दिया, ताकि कोई सबूत न बचे।
जांच की 3 अहम चीजें
घटना के बाद जब पुलिस को जानकारी मिली, तो तीन अहम चीजें जाँच के लिए सबसे पहले सामने आई। पहली सफेद रंग की बस, दूसरी बस पर ‘यादव’ लिखा था व तीसरी बस में ड्राइविंग सीट पर भगवान शिव की मूर्ति लगी थी। मूर्ति को आरोपियों से घटना के बाद बस से हटा दिया था। सीसीटीवी से भी कुछ सुराग मिले थे, मगर बस का नंबर नहीं मिला था। केस से जुड़े तत्कालीन कोटला मुबारकपुर थाने के SHO नरेश सोलंकी को एक अहम लीड मिली। उन्हें एक मुखबिर ने पालम इलाके से फोन कर बताया कि ‘यादव ट्रेवल्स’ की एक बस प्रतिदिन रात आरके पुरम रविदास कैंप में आकर खड़ी होती है। घटना के अगले ही दिन यानी 17 दिसंबर को नरेश सोलंकी, इंस्पेक्टर वेदप्रकाश व केस की महिला आईओ प्रतिभा व बाकी स्टाफ ने आरोपी राम सिंह को रविदास कैंप से शाम 4 बजे अरैस्ट कर लिया। पहली गिरफ्तारी, बस बरामद
यह केस की पहली गिरफ्तारी थी व बस भी रविदास कैंप से बरामद कर ली गई। इसके बाद इंस्पेक्टर वेदप्रकाश फॉरेंसिक टीम के साथ जाँच करने बस को लेकर त्यागराज स्टेडियम पहुंचे। बस से निर्भया के बाल, उसके शरीर के मांस के कुछ टुकड़े व खून के नमूने बरामद किए गए। जिस लोहे की रॉड से निर्भया को पीटा गया था, वह भी पुलिस ने खोज निकाली। बस की सीट पर खून के निशान मिले थे। दरअसल ये बस AT Ambit कंपनी के लिए चार्टर्ड बस का कार्य करती थी। प्रातः काल 7 बजे बच्चों को स्कूल छोड़ती थी व प्रातः काल 9 बजे के आसपास प्रतिदिन कंपनी के कर्मचारियों को आरके पुरम से नोएडा छोड़ने जाती थी। दोपहर 1 बजे के आसपास बच्चों को स्कूल से घर छोड़कर शाम 6 बजे नोएडा से कंपनी के कर्मचारियों को वापस आरके पुरम छोड़ती थी। फिलहाल ये बस कंडम हालत में दिल्ली के सागरपुर इलाके में खड़ी है।