कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है. 26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले किसानों की सरकार से अब तक सात दौर की वार्ता हो चुकी है. सोमवार को एक बार फिर किसान नेता और केंद्रीय मंत्री दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 2 बजे मिलेंगे.
आज होने वाली बैठक से पहले गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे एक किसान ने कहा, “हम ऐसे खराब मौसम में अपने परिवार से दूर सड़कों पर बैठे हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार सोमवार को हमारी मांगों को स्वीकार करेगी.”
इससे पहले 30 दिसंबर को सातवें दौर की बैठक हुई थी. इस बैठक में किसानों के चार प्रस्ताव में से दो पर सहमति बनी. बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि पर्यावरण अध्यादेश पर रजामंदी हो गई है. ऐसे में अब पराली जलाना जुर्म नहीं है. साथ ही बिजली बिल का मसला भी अब सुलझ गया है. जिन दो मुद्दों पर रजामंदी नहीं हुई है वो कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी हैं. इन दोनों मुद्दों पर आज फिर बातचीत होनी है.
वहीं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप ने कहा कि इस नए वर्ष में आज लाखों किसानों ने संकल्प लिया है कि वे किसानों के आंदोलन का समर्थन और देश में बढ़ती भूख का विरोध करेंगे. किसान समिति ने ये भी कहा है कि दो छोटी मांगें मानना कानून रद्द न करने पर अड़े रहने का बहाना नहीं बन सकता.
जारी बयान के मुताबिक, किसानों ने शपथ में संकल्प लिया कि अनिश्चितकालीन आंदोलन को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों की प्रेरणा से केंद्र के तीन कानूनों को रद्द किये जाने तक लगातार चलाएंगे.
वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वार्ता में कुछ बेहतर नतीजे निकलने की उम्मीद जताई है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह कोई ज्योतिषी नहीं हैं जो यह बता सकें कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ होने वाली बैठक अंतिम होगी.
उधर, किसानों को विपक्ष का पूरा साथ है. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से केन्द्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों के विरोध में रविवार को जयपुर के शहीद स्मारक पर ‘किसान बचाओ देश बचाओ अभियान’ के तहत धरना आयोजित किया गया.