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युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने बुज़ुर्ग रामकिशोर वर्मा, 12 सालों की लम्बी लड़ाई से दिया सत्य की जीत का संदेश 

मसला तब हुआ जब, मोहल्ले के ही निवासी पवन कुमार, पुत्र संत राम ने दबंगई दिखाते हुए, इस आम रास्ते को निजी बताया और दीवार खड़ी करते हुए, इस रास्ते को क़ब्ज़े में लेने की कोशिश करने लगे। इस बात का विरोध पूरे मोहल्ले में…..

बाराबंकी। इस देश में सत्य की खोज करने वाले आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन सत्य की लड़ाई लड़ने वाले लोग बिरले ही मिलते हैं। ऐसे ही 80 साल के एक बुज़ुर्ग हैं, जिन्होंने अपने जज़्बे के चलते, आज की युवा पीढ़ी के जोश और जुनून को धता बताते हुए, समाज के लिए 12 वर्षों तक न सिर्फ़ एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी, बल्कि जीते भी। इन बुज़ुर्ग का नाम है राम किशोर वर्मा, जो सिर्फ़ हैं तो किसान, मगर अपनी क्रांतिकारी सोच के कारण, अपने जीवन के 12 वर्षों को समाज के लिए न्यौछावर कर चुके हैं।

युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने बुज़ुर्ग रामकिशोर वर्मा, 12 सालों की लम्बी लड़ाई से दिया सत्य की जीत का संदेश 

200 साल पुराने रास्ते पर जब दबंगों ने किया क़ब्ज़ा 

दरअसल, देवां ब्लॉक में कैमा ग्राम पंचायत के रसूलपुर दरगाह गांव निवासी राम किशोर वर्मा, उम्र 80 वर्ष, पुत्र पुत्तीलाल के घर के सामने ही, क़रीब 200 साल पुराना एक रास्ता है। राम किशोर सहित, मोहल्ले वालों का ये दावा है कि यह रास्ता पूरी तरह सार्वजनिक है। ये रास्ता गांव के सरकारी स्कूल तक जाता है और इस रास्ते से छोटे-छोटे बच्चों से लेकर मोहल्ले के लोगों का आना-जाना है।

मसला तब हुआ जब, मोहल्ले के ही निवासी पवन कुमार, पुत्र संत राम ने दबंगई दिखाते हुए, इस आम रास्ते को निजी बताया और दीवार खड़ी करते हुए, इस रास्ते को क़ब्ज़े में लेने की कोशिश करने लगे। इस बात का विरोध पूरे मोहल्ले में सिर्फ़ राम किशोर वर्मा ने किया और पवन कुमार को क़ब्ज़ा करने से रोकने की कोशिश की। पवन कुमार के न मानने पर, राम किशोर वर्मा ने पुलिस बुलवाकर दीवार उठाने का काम रुकवा दिया। बुज़ुर्ग राम किशोर ने पुलिस के सामने एक वाजिब वजह रखी कि ये एक सार्वजनिक रास्ता है और इस रास्ते से स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों से लेकर, मोहल्ले का हर व्यक्ति आता-जाता है। इस रास्ते को हम बंद नहीं होने देंगे!

पुलिस के जाने के बाद, शुरू हुआ धमकियों का दौर

पुलिस ने स्थिति को समझते हुए काम तो रुकवा दिया, मगर पुलिस के जाने के बाद, पवन कुमार और विजेंद्र प्रसाद, पुत्र राम अवतार ने राम किशोर वर्मा और उनके परिवार के साथ, काफ़ी झगड़ा हुआ और सार्वजनिक रास्ते को हर हाल में अपने क़ब्ज़े में करने की धमकी दे डाली। उधर, दबंगों की धमकियों से न डरते हुए, राम किशोर अपनी बात पर अडिग रहे। नतीजा ये हुआ, कि दबंग पवन कुमार और विजेंद्र प्रसाद ने रास्ते की ज़मीन को निजी बताते हुए, राम किशोर पुत्र पुती लाल और ग्राम प्रधान के साथ चेयरमैन भूमि-प्रबंधक समिति के खिलाफ़, बाराबंकी की दीवानी अदालत में एक झूठा मुक़दमा दायर कर दिया।

मुक़दमा 2 बार हुआ खारिज़ तब 12 सालों बाद ली राहत की साँस 

इस मुक़दमे को, साल 2019 में बाराबंकी के तत्कालीन सिविल जज, दीवानी ने खारिज़ कर दिया। राम किशोर दीवानी अदालत में तो जीत गए, लेकिन झूठा मुक़दमा करने वालों की खीज नहीं मिटी। दीवानी अदालत में हारने के बाद, दबंग पवन कुमार और विजेंद्र प्रसाद ने इस मुक़दमे को अपर जिला जज बाराबंकी की अदालत में दोबारा अपनी क़िस्मत आज़माई, मगर विरोधियों की ये बद्क़िस्मती थी कि यहाँ भी इन्हें मुँह की खानी पड़ी। अपर जिला जज, बाराबंकी ने भी इस झूठे मुक़दमे को सिरे से नकार कर अप्रैल-2022 में खारिज़ कर दिया। माननीय अदालत ने कहा कि विवादित रास्ता सार्वजनिक रास्ता है। 12 वर्षों तक चली इस कानूनी लड़ाई में मिली जीत के बाद, राम किशोर वर्मा, ग्राम प्रधान के वर्तमान प्रधान और इस मुक़दमे से जुड़े हुए बाक़ी लोगों ने अदालत के फ़ैसले का स्वागत किया और 12 साल बाद राहत की साँस ली।

राम किशोर के पुत्र और लखनऊ में अरिहंत हॉस्पिटल के मैनेजर सतेंद्र वर्मा

एक बुज़ुर्ग ने दिया समाज को संदेश- सत्य परेशान हो सकता है मगर…..

राम किशोर के पुत्र और लखनऊ में अरिहंत हॉस्पिटल के मैनेजर सतेंद्र वर्मा ने इस बारे में खुल कर बात की। उनका कहना था कि मुक़दमा होने के बाद, 12 सालों तक परिवार को किन परेशानियों से ग़ुज़रना पड़ा है ये कोई नहींं जानता। सतेंद्र कहते हैं कि एक वक़्त ऐसा आ गया था कि परिवार में हम सबने पिताजी से कहा कि इस मसले को ही छोड़ दीजिए। इस उम्र में आप एक झूठे मुक़दमे के चलते अदालतों के चक्कर कब तक लगा पाएंगे? मगर, बुज़ुर्ग राम किशोर वर्मा अपनी धुन और ज़ुबान के पक्के हैं। उन्होंने समाज के लिए अपनी कर्तव्यनिष्ठा के चलते किसी की भी एक न सुनी और अपने मोहल्ले के लोगों और छोटे-छोटे बच्चों के ख़ातिर, 12 सालों तक न सिर्फ़ एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी, बल्कि इस लड़ाई में दो बार जीत हासिल कर ये दिखा दिया कि सत्य परेशान तो हो सकता, मगर कभी हार नहींं सकता। 

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