रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
ऊर्जा ने आधुनिक विकास को गति दी है। इसी के साथ इसके संरक्षण की भी आवश्यकता है। क्योंकि कोई भी आधिनक विकास अंततः पर्यावरण की कीमत पर ही होता है। इस नुकसान को कम करने पर भी विचार अपरिहार्य है। ऊर्जा संरक्षण के प्रयास दो स्तर पर किये जा रहे है। एक तो उसका दुरुपयोग रोका जाए,दूसरा ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया में भी पर्यावरण का संरक्षण पर ध्यान दिया जाए।
लखनऊ विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संकाय के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट सेल की ओर से थर्मल पावर प्लांट की दक्षता को बढ़ाने के आधुनिक तरीके विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। इसमें बी.टेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने सहभागिता की। वेबीनार में एन टी पी सी झज्जर के कंट्रोल एवं इंस्ट्रूमेंटेशन विभाग के मैनेजर ई० प्रेम प्रकाश राय ने थर्मल पावर प्लांट की दक्षता बढ़ाने की आधुनिक विधियों पर व्याख्यान दिया। बिजली की ऑक्सीलरी खपत को ऑप्टिमाइज तथा संयुक्त प्लांट की दक्षता को अधिकतम करने के लिए कई स्मार्ट तरीके बताएं।
ऑक्सीलरी खपत कुल उत्पादित ऊर्जा का वह भाग है जो प्लांट के सहायक उपकरणों को चलाने में प्रयोग होती है।
इन सहायक उपकरणों में बॉयलर तक पानी पहुंचाने वाले बायलर फीड पंप में सबसे अधिक ऊर्जा की खपत होती है। अतः ऊर्जा बचाने के लिए आधुनिक प्लांट में मोटर चलित बॉयलर फीड पंप के स्थान पर टरबाइन चलित बायलर फीड पंप का प्रयोग हो रहा है। इस टरबाइन में उपयोग हुई स्टीम को सीधे बॉयलर में जा रहे पानी को स्थानांतरित कर दिया जाता है। जिससे पानी बॉयलर में पहुंचने से पहले ही गर्म हो जाता है। इस प्रकार ऊर्जा की खपत कम करके प्लांट की दक्षता बढ़ाई जाती है।
इसी क्रम में बायलर से निकलने वाली फ्लू गैसों का प्रयोग एयर प्रिहीटर की सहायता से वायुमंडलीय हवा को गर्म करने के लिए किया जाता है। इस गर्म हवा से कोयले की नमी को दूर करते हैं जिससे कोयले का दहन अधिकतम हो सके। एयर प्रिहीटर की धुलाई प्लांट शटडाउन के समय होती है। ई० प्रेम प्रकाश ने थर्मल पावर प्लांट से होने वाले वायुमंडल प्रदूषण की रोकथाम एवं उपचार पर चर्चा की तथा इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर की कार्यप्रणाली को विस्तृत रूप से समझाया।
उन्होंने बताया कि कि चिमनियो से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड होते हैं जो श्वसन तथा फसलों के लिए हानिकारक होते हैं। इनके उत्सर्जन को कम करने के लिए दहन संशोधन तकनीकी एवं फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने ऊर्जा संरक्षण पर जोर देते हुए छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के उत्तर भी दिए। इस वेबीनार का आयोजन मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के इंचार्ज डॉ राजेंद्र बहादुर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप कुमार गुप्ता द्वारा किया गया।