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झाड़फूक नहीं बल्कि उपचार व सही देखभाल से नियंत्रित रहता मिर्गी रोग

• जिला अस्पताल की प्रति ओपीडी में आते हैं 8 से 10 मरीज़

कानपुर नगर। मिर्गी की बीमारी मस्तिष्क विकार है, किसी तरह की छुआछूत या संक्रमण की बीमारी नहीं है। गलती जानकारी और मिथकों की वजह से बहुत से लोग मिर्गी का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर की बजाए झाड़-फूंक करने वालों के पास पहुंच जाते हैं। जबकि झाड़फूक कराने की बजाय उसका विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज कराने की जरूरत होती है । यह कहना है अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व गैर संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ महेश कुमार का।

मिर्गी रोग से डरने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत

डॉ कुमार ने बताया कि अधिकांश बीमारियां मस्तिष्क में चोट लगने से होती है। कुछ मामलों में यह अनुवांशिक भी होती है। #मिर्गी रोगी के साथ परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इससे डरने का नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। कई मामलों में रोगी पूर्ण स्वस्थ हो जाता है, जबकि कुछ में बेहतर देखभाल व उपचार से रोग नियंत्रित किया जा सकता है।

जिला अस्पताल की प्रति ओपीडी में आते हैं 8 से 10 मरीज़

जिला अस्पताल, उर्सिला में स्थापित मनकक्ष में तैनात क्लीनिकल सायकोलाजिस्ट सुधांशु बताते है कि मनकक्ष में हफ्ते में तीन दिन ओपीडी संचालित होती है। सोमवार , बुधवार और शुक्रवार को संचालित होने वाली ओपीडी में सौ व्यक्तियों की काउंसलिंग में करीब 8 से 10 मरीज मिर्गी रोग से संबंधित आते हैं।

उन्होंने बताया की उनके पास जो केस आते है। उनमें मरीज के साथ उनके परिजनों की भी काउंसलिंग और थेरेपी भी की जाती है। उनका कहना है की मिर्गी रोगी के साथ समाज और परिवार के सहयोग की जरूरत होती है। ऐसा माहौल विकसित करना चाहिए कि उसका मन अच्छा रहे।

इस तरह करें प्राथमिक उपचार

जिला अस्पताल के मनकक्ष में तैनात डॉ चिरंजीव प्रसाद ने बताया कि मिर्गी रोगी के साथ सामान्य व्यवहार रखे। उन्होंने बताया की यदि किसी को मिर्गी रोग हुआ है तो कभी उसको अकेला ना छोड़ें। साथ ही कहा कि बताया की यदि मिर्गी का दौरा आये तो सर्वप्रथम घबराए नहीं। भीड़भाड़ का माहौल न बनाएं और #रोगी को शांत और खुले माहौल में रखें। आसपास से वह चीजें हटा दें,जिससे चोट लगने की आशंका हो। फिर सिर के नीचे तकिया रख दें और वो कपड़े हटा दें जिससे रोगी को सांस लेने में पेरशानी हो रही हो। अब रोगी को बायीं या दायीं किसी भी करवट के बल लिटाएं ध्यान रहे रोगी पीठ के बल नहीं लेता होना चाहिये। मुंह से निकलने वाली झाग (थूक) या उल्टी को साफ करते रहें, जिससे सांस लेने में परेशानी न हो। उसके बाद स्थिति सामान्य होने पर चिकित्सक के पास आकर इलाज लेना चाहिए।

मिर्गी से बचाव कैसे करें

-पर्याप्त नींद लेने दें, क्योंकि नींद की कमी बच्चों में दौरे का कारण होती है।
-सिर को चोट से बचाने के लिए उसके सिर पर स्कैट या साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनाएं।
– गिरने से बचाने के लिए उसको सावधानी से चलने के लिए कहें।
-किसी तेज रोशनी या अधिक शोर वाली जगह पर बच्चे को ना ले जाएं, क्योंकि ये भी कई बार दौरे पड़ने की वजह बनाते हैं।
बच्चे को रोजाना एक ही समय पर दौरों को कम करने वाली दवा देना ना भूलें।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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