यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने ग्रीस के खिलाफ एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया कि ग्रीस ने एक महिला को अवैध रूप से तुर्की भेज दिया था और इस प्रक्रिया को ‘व्यवस्थित’ बताया। यह फैसला 7 जनवरी को स्ट्रासबर्ग, फ्रांस में सुनाया गया। न्यायालय ने 2019 में ग्रीस-तुर्की सीमा पार करने वाली तुर्की की एक महिला, जिसे केवल A R E के नाम से पहचाना गया, को 20,000 यूरो (लगभग 21,000 डॉलर) का मुआवजा दिया। कोर्ट ने कहा कि उस महिला को शरण का आवेदन करने का कोई मौका नहीं दिया गया और उसे गलत तरीके से तुर्की भेजा गया।
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‘अवैध रूप से सीमा पार कराने की एक व्यवस्थित प्रथा’
न्यायालय ने यह भी माना कि ग्रीक अधिकारियों की तरफ से तीसरे देशों के नागरिकों को अवैध रूप से सीमा पार कराने की एक व्यवस्थित प्रथा चल रही थी, खासकर ग्रीस के एवरोस क्षेत्र में। हालांकि, अदालत ने अफगानिस्तान के एक युवक के आरोप को खारिज कर दिया, जो कह रहा था कि उसे 2020 में सैमोस द्वीप से तुर्की भेज दिया गया था, जब वह 15 साल का था।
ग्रीस के सरकारी प्रतिनिधियों ने आरोपों से किया इनकार
वहीं ग्रीस के सरकारी प्रतिनिधियों ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि ग्रीस की सीमा नीतियां अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करती हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने ग्रीस से आग्रह किया है कि वह इन आरोपों की गहराई से जांच करे, जबकि मानवाधिकार संगठनों ने इन अवैध वापसीयों को एक व्यवस्थित प्रथा बताया है।
ग्रीस के राष्ट्रीय पारदर्शिता प्राधिकरण, जो एक भ्रष्टाचार निरोधक सरकारी निकाय है, ने 2022 में चार महीने की जांच के बाद इन आरोपों को खारिज किया था। यह फैसला यूरोप में शरणार्थियों के मामलों को लेकर भविष्य में ग्रीस और अन्य यूरोपीय देशों की नीतियों को प्रभावित कर सकता है।