निकाय चुनाव में अब किसी को अपना निजी असलहा जमा नहीं कराना होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि लोगों को निजी लाइसेंसी असलहा जमा कराने के लिए बाध्य न किया जाए।
कोर्ट ने कहा है कि यदि ऐसा करना किसी मामले में जरूरी हो तो उस मामले की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा बाकायदा जांच की जानी चाहिए और सक्षम प्राधिकारी द्वारा ऐसा लिखित में आदेश करने के बाद ही लाइसेंसी शस्त्र जमा कराया जाए। कोर्ट ने कहा कि जब तक स्क्रीनिंग कमेटी को रिकॉर्ड पर ऐसे तथ्य उपलब्ध न हों, जिनके आधार पर शस्त्र जमा कराना जरूरी हो, तब तक किसी से न जमा कराया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने फतेहपुर के विजय सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची का कहना था कि वह एक समाजसेवी है और कई शिक्षण संस्थान चलाता है।
हालांकि कोर्ट ने राज्य सरकार को छूट दी है कि हर मामले की समीक्षा कर कानून के मुताबिक कार्य करे और सात अप्रैल 2023 को जारी सर्कुलर के तहत यदि अधिकारियों को लगता है कि किसी लाइसेंसी शस्त्र धारक व्यक्ति के पास असलहा होने से कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता है तो लिखित आदेश जारी कर शस्त्र जमा करा सकते हैं।