कलाक्षेत्र फाउंडेशन, चेन्नई में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची पूर्व राजनयिक सुचित्रा दुरई ने छात्रों के समक्ष भारत की विदेश नीति की व्यापक रूपरेखा पेश की।
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दुरई केन्या और थाईलैंड सहित कई देशों में भारत की राजदूत के तौर पर सेवा दे चुकी हैं। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में अपनी यात्रा को याद करते हुए छात्रों को उच्च शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम में रुक्मिणी देवी कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स और बेसेंट अरुंडेल सीनियर सेकेंडरी स्कूल तथा शिल्प अनुसंधान एवं बुनाई केंद्र के 800 छात्रों के साथ ही वरिष्ठ संकाय सदस्य और कुछ पूर्व छात्रों ने हिस्सा लिया।
कलाक्षेत्र फाउंडेशन के निदेशक अनीश राजन ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया, जिसके बाद छात्रों ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए। इस दौरान पारंपरिक नृत्य प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया।
कलाक्षेत्र फाउंडेशन संस्कृति मंत्रालय के तहत एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान है, जिसमें बेसेंट थियोसोफिकल हायर सेकेंडरी स्कूल (बीटीएचएस) सहित कई शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं। 1978 में बीटीएचएस से अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने वाली दुरई ने छात्रों को उनके मार्ग में आने वाली कठिनाइयों से पार पाने के कई नायाब नुस्खे साझा किए।
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उन्होंने भारत की हालिया जी20 अध्यक्षता पर प्रकाश डाला और दुनिया में भारत के बढ़ते कद को रेखांकित किया। दुरई ने विदेश मंत्रालय के अधीन होने वाले पासपोर्ट कार्यों, कांसुलर सेवाओं और आईसीसीआर के माध्यम से विभिन्न देशों में अपनाई जाने वाली सांस्कृतिक कूटनीति का भी उल्लेख किया।
दुरई के आत्मविश्वास से भरे संबोधन से छात्र काफी प्रभावित हुए और उनमें यह विश्वास पैदा हुआ कि साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उनके लिए देश की शीर्ष सिविल सेवाओं में प्रवेश वास्तव में संभव है।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी